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देवघर में होते हैं चारमुखी ब्रह्मदेव के दर्शन, वैदिक विधि से होती है पूजा

बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके बारे में रोचक कहानियां हैं. हर एक मंदिर की जानकारी हम आपको देंगे. आज पढ़ें चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर के बारे में...

By Prabhat Khabar News Desk | July 8, 2023 2:24 PM
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Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर और चौथे दिन मां संध्या मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर के बारे में बताएंगे.

चतुर्मुखी शिवलिंग भी कहा जाता है

12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा के बाद चतुर्मुखी ब्रह्मा की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते हैं. यहां कुछ जानकारों का मानना है कि यह चतुर्मुखी शिवलिंग है. ब्रह्मा की मूर्ति राजस्थान पुष्कर में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण लगभग 100 वर्ष पूर्व कराया गया. भगवान ब्रह्मा के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के पूरब व दक्षिण की ओर है. मां संध्या मंदिर व भगवान गणेश मंदिर के बीच भगवान ब्रह्मा का मंदिर स्थित है. इसके शिखर की लंबाई लगभग 30 फीट व चौड़ाई 10 फीट है.

वैदिक विधि से की जाती है पूजा

भगवान ब्रह्मा के शिखर पर कलश नहीं है. इसके ऊपर पंचशूल भी नहीं लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे पीले रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए सीधे भक्त भगवान ब्रह्मा के प्रांगण में पहुंचते है. सामने के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भगृह में प्रवेश करते हैं. जहां ब्रह्मदेव के चार मुखी रूप के दर्शन होते हैं. यहां ब्रह्मा का काले पत्थर की लिंग रूपी मूर्ति स्थापित है. इस लिंग रूपी मूर्ति की ऊंचाई मात्र एक फीट है. यहां पर ब्रह्मा की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. मंदिर इस्टेट की ओर से प्रतिदिन धूप दीप दिखाया जाता है. इसके अलावा काशीनाथ सरेवार की ओर से ब्रह्मा की पूजा अर्चना की जाती है.

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