Loading election data...

बाबाधाम आने वाले कांवरियों के लिए हैं विशेष नियम, ऐसे करें शिव की पूजा, बरतें ये सावधानियां

सावन महीने में कांवर यात्रा ऐतिहासिक है. सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल भरकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. लेकिन कांवरियों के लिए विशेष नियम होते हैं. आइए जानते हैं वे क्या नियम हैं और भगवान शिव की पूजा कैसे करते हैं...

By Prabhat Khabar News Desk | July 17, 2023 9:04 AM

Sawan 2023: सावन महीने में कांवर यात्रा ऐतिहासिक है. सुल्तानगंज से पवित्र गंगा का जल भरकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं. मान्यता है कि इस यात्रा की शुरुआत मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने की थी. उत्तरवाहिनी सुल्तानगंज से गंगा का जल भरकर पैदल चलकर बाबा बैद्यनाथ की पूजा-अर्चना की थी, तभी से यह परंपरा बनी हुई है. स्कंद पुराण में वर्णित है कि जो नर-नारी कंधे पर कांवर रखकर अपनी यात्रा पूरी करते हैं, उन्हें अश्वमेघ यज्ञ का पुण्य प्राप्त होता है.

कांवरियों के लिए विशेष नियम

  • संकल्प मंत्रोच्चारण के साथ कांवर में गंगा जल भरे.

  • कांवर रखने और उठाने के पहले मंत्रोच्चारण एवं प्रणाम करें.

  • कांवर हमेशा अपने से उंचे स्थान पर रखे तथा इससे दूरी पर बैठे. कांवर को माथे के उपर से पार ना करें.

  • कांवर से कम से कम 12 हाथ की दूरी पर धूम्रपान, 24 हाथ की दूरी पर लघुशंका तथा सैकड़ों हाथ की दूरी पर ही शौच करें.

  • विश्राम, खान-पान, शौच आदि के उपरांत स्नान कर ही पुन: कांवर उठावें.

  • तेल-साबुन, चमड़े का सामान, जूता-चप्पल तथा शीशे के सामानों का उपयोग न करें.

  • कांवर तथा खुद को कुत्ते के स्पर्श से बचावे.

  • ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करें तथा भोग विलास से कोसों दूर रहे.

  • धार्मिक भावनाओं में रुचि बनाये रखें तथा तन मन धन से बोल बम का जाप करते रहे. ईश्वर में लीन रहे.

  • परस्पर परोपकार और सहयोग की भावना बनाये रखें. सत्य एवं मृदुभाषी बने रहें एवं छल-कपट को पास न फटकने दें.

ऐसे करें शिव की पूजा

श्रावण मास में शिव की पूजा का विशेष महत्व है. आप घर में भी शिव की पूजा कर सकते हैं. शिव की पूजा की तीन प्रमुख विधि हैं.

1. पंचोपचार पूजा: गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य.

2. दशोपचार पूजा : पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र निवेदन, गंध, पुष्प, धूप, दीप और नेवैद्य.

3. षोड्शोपचार पूजा: पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, आभूषण, गंध, पुष्प, धूप, दीप, नेवैद्य, आचमन, ताम्बुल, स्तवपाठ, तर्पण और नमस्कार. पूजन के अंत में सांगता सिद्धि के लिए दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए.

शिव की पूजा में बरतें सावधानियां

  • पूजन में शुद्धता व सात्विकता का विशेष महत्व है, इस दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान से निवृत हो शिवजी का स्मरण करते हुए भक्त व्रत एवं उपवास का पालन करते हुए भजन व पूजन करते हैं.

  • नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद अपने शिवजी की मूर्ति, चित्र या शिवलिंग को सफेद या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें.

  • पूजन में शिवजी के सामने धूप, दीप अवश्य जलाना चाहिए. जलाये गये दीपक को स्वयं कभी नहीं बुझाना चाहिए.

  • फिर शिवजी के मस्तक पर सफेद चंदन और चावल लगायें, फिर उन्हें हार और फूल चढ़ायें. फिर उनकी आरती उतारें.

  • पूजन में अनामिका अंगुली (छोटी उंगली के पास वाली यानी रिंग फिंगर) से गंध (चंदन, हीना, अबीर, गुलाल, मोगरा आदि) लगाना चाहिए.

  • पूजा करने के बाद प्रसाद या नैवेद्य (भोग) चढ़ायें.

  • अंत में आरती करें. अंत में उनकी आरती करके नैवेद्य चढ़ाकर पूजा का समापन करें.

Also Read: देवघर के पंडे अगर ये सब सवाल करें तो घबराइए मत, बाबाधाम में है आपके पूरे पूर्वजों की वंशावली

Next Article

Exit mobile version