देवघर: सेटलमेंट अफसर ने एएसओ के आदेश को किया रद्द, गलत तरीके से खाता खोलने का मामला
सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी ने वैसे क्षेत्र से संबंधित रैयत का खाता खोल दिया था, जहां कि अब तक सर्वे ही नहीं हुआ है. जमीन नगरपालिका क्षेत्र की थी. इस क्षेत्र में बंदोबस्त का काम ही नहीं हुआ है. ऐसे में गलत तरीके से खाता जब खोला गया, तो संबंधित पक्षकार शिखा दत्ता रीविजन में चलीं गयीं.
सर्वोच्च न्यायालय में केस हारने के बाद गलत तरीके से सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी से मिलकर खाता खोलवा लेने के मधुपुर के चर्चित मामले में संताल परगना के बंदोबस्त पदाधिकारी सुनील कुमार ने निचले न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया है. सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी ने वैसे क्षेत्र से संबंधित रैयत का खाता खोल दिया था, जहां कि अब तक सर्वे ही नहीं हुआ है. जमीन नगरपालिका क्षेत्र की थी. इस क्षेत्र में बंदोबस्त का काम ही नहीं हुआ है. ऐसे में गलत तरीके से खाता जब खोला गया, तो संबंधित पक्षकार शिखा दत्ता रीविजन में चलीं गयीं.
इससे पहले उन्होंने सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, संबंधित पेशकार समेत 12 लोगों के खिलाफ मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी दुमका के न्यायालय में परिवाद भी दायर किया था. इसके बाद दुमका नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, उनके द्वारा दायर रीविजन में बंदोबस्त पदाधिकारी सुनील कुमार ने पाया कि जिस जमीन का खाता खोला गया है. वह मधुपुर नगर परिषद क्षेत्र के अंदर की है. ऐसी स्थिति में उन्होंने सहायक बंदोबस्त न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया. बता दें कि बंदोबस्त का काम दुमका, देवघर, मधुपुर, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, साहिबगंज के नगरपालिका क्षेत्र में हुआ ही नहीं है. इन तमाम निकाय क्षेत्र को छोड़कर शेष इलाके में बंदोबस्त सर्वे किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट से केस हार चुके बलराम यादव वगैरह का खाेल दिया था खाता
गौरतलब है कि जिस जमीन से संबंधित मामले में बलराम यादव वगैरह का खाता खोलने का काम सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी ने किया था, उस जमीन पर बलराम यादव वगैरह सुप्रीम कोर्ट तक में केस हार चुके थे. केस हारने के बाद षडयंत्र के तहत इनलोगों ने जमीन हड़पने के उद्देश्य से फर्जी कागजात तैयार कराया. इसके लिए मूल कागजात में भी छेड़छाड़ की गयी. इसके बाद सहायक बंदोबस्त न्यायालय ने भी गलत तरीके से खाता खोल दिया. यह भूखंड मधुपुर नगर परिषद के पूर्व वार्ड संख्या 9 (वर्तमान में वार्ड 01) में है. इस भूमि का न तो सर्वे गजट, न ही किश्तवार, खानापूर्ति तस्दीक और न ही हाल खाता नक्शा बना है. भूखंड पर 83/1974 सबजज-3 देवघर ने शिखा दत्ता के पक्ष में डिग्री दी थी. बाद में बलराम यादव वगैरह के अपील में जाने पर झारखंड उच्च न्यायालय (एसए 38/2004) एवं उसके बाद सर्वोच्च न्यायालय (एसएलपी 32878/2016) तक ने लोअर कोर्ट के फैसले को कायम रखा. इसके बाद षड़यंत्र कर जमीन हड़पने के नियत से फर्जीवाड़ा किया गया.