देवघर : 5 से 20 रुपये तक के कोर्ट फी स्टांप की किल्लत, नहीं मिल पा रही दस्तावेजों की सर्टिफाइड कॉपी
देवघर के कचहरी परिसर में पांच से 20 रुपये तक के कोर्ट फी स्टांप की किल्लत हो गई है. कोर्ट फी स्टांप नहीं रहने से विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की सर्टिफाइड कॉपी लोगों को नहीं मिल पा रही है. साथ ही नकल के लिए दाखिल सैकड़ों आवेदन भी खारिज हो चुके हैं.
Deoghar News: देवघर के कचहरी परिसर में विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों में प्रयोग होने वाले स्टांप पेपर व कोर्ट फी स्टांप की एक माह से किल्लत हो गयी है. न्यायालय में दाखिल होने वाले आवेदनों में 20 रुपये के कोर्ट फी लगाये जाने का प्रावधान झारखंड सरकार की ओर से कर दिया गया है. पहले पांच रुपये का कोर्ट फी लगता था, जिसमें बढ़ोतरी कर दी गयी है. जिला कोषागार से कोर्ट फी स्टांप की निकासी होती है, जो स्टांप विक्रेताओं को दिया जाता है और स्टांप वेंडरों से आम लोग खरीदारी करते हैं. हर दिन लाखों रुपये के स्टांप का कारोबार कचहरी परिसर में होता है.
पिछले एक माह से न तो पांच रुपये का कोर्ट फी स्टांप मिल रहा है और न ही 10 व 20 रुपये का कोर्ट फी टिकट मिल रहा है. दो रुपये के स्टांप एक-दो वेंडर के पास हैं, लेकिन मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. कोर्ट फी स्टांप नहीं रहने से विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों की सर्टिफाइड कॉपी लोगों को नहीं मिल पा रही है. विभिन्न मुकदमों के पक्षकार व अधिवक्ता केस में पक्ष रखने आते हैं, जहां पर टाइम पिटिशन हों या वकालतनामा हर जगह कोर्ट फी देना पड़ता है. स्टांप नहीं मिलने से नकल के लिए दाखिल सैकड़ों आवेदन भी खारिज हो चुके हैं.
स्टांप पेपर के लिए चुकानी पड़ रही है अधिक कीमत
जिले के विभिन्न जगहों से स्टांप पेपर के लिए लोग कचहरी आते हैं और स्टांप पेपर ऑनलाइन निकासी कर प्राप्त करते हैं. आम लोगों से निर्धारित मूल्य से 30 रुपये अधिक राशि भुगतान करने होते हैं. ऑनलाइन स्टांप की सेवा देने वाले वेंडरों से इस संबंध में पूछे जाने पर साफ तौर पर कहते हैं कि जिस पर स्टांप प्रिंट होता है उस कागज की कीमत तीन रुपये 10 पैसे व बैंक में राशि जमा की कटौती चार रुपये 90 पैसे लगते हैं. इसके अलावा बिजली, इंक, कलर आदि का खर्च लगता है और कंप्यूटर चलाने के लिए स्टाफ के खर्च के लिए अधिक पैसे लेते हैं. सरकार की ओर से मिलने वाला कमीशन भी बंद कर दिया गया है.
दिन के एक बजे तक ही होती है ऑनलाइन स्टांप पेपर की निकासी
शपथ पत्र हो या एग्रीमेंट, नादावी पत्र हो या मैरेज डीड, इंडेम्निटी बांड हो या घोषणा पत्र, सभी प्रकार के दस्तावेज बनाने में स्टांप पेपर की अनिवार्यता है. इसके लिए पांच, 10, 20, 50 व सौ रुपये के स्टांप पेपर लगाये जाते हैं. पहले ऑफलाइन स्टांप पेपर झारखंड सरकार का छपा हुआ मिल जाता था. इधर, हाल के कई महीनों से यह बंद है और ऑनलाइन राशि जमा करने के बाद ही प्रिंट होकर निकलता है. पहले इसमें समय सीमा निर्धारित नहीं थी और सर्वर बेहतर ढंग से काम करता था. इन दिनों झारखंड सरकार का सर्वर एक बजे दिन से लेकर पांच बजे संध्या तक बंद होने का मैसेज आ जाता है और ऑनलाइन स्टांप पेपर की निकासी नहीं हो पाती है. इसके लिए लोगों को दूसरे दिन का इंतजार करना पड़ता है.
वेंडर भी परेशान
कचहरी परिसर में एक दर्जन स्टांप वेंडर हैं, जिन्हें स्टांप नहीं मिलने पर खरी-खोटी सुननी पड़ रही है. कुछ लोग जामताड़ा, दुमका, गोड्डा व रांची से स्टांप लाकर काम चला रहे हैं.
रेवेन्यू टिकट उपलब्ध नहीं
जिले में हाल के दिनों में रेवेन्यू टिकट भी लोगों को नहीं मिल पा रहा है. पहले डाकघरों से आम लोगों को मिल जाता था, लेकिन वर्तमान में स्टांप वेंडरों के पास भी रेवेन्यू स्टांप नहीं उपलब्ध है. पैसों की निकासी से लेकर लेन देन के कागजातों में रेवेन्यू टिकट की अनिवार्यता है और लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं.
क्या कहते हैं कोषागार पदाधिकारी
देवघर कोषागार पदाधिकारी डीएन राय ने बताया कि कोषागार में पांच रुपये से लेकर 20 रुपये तक कोर्ट फी स्टांप जनवरी से निबंधन विभाग से प्राप्त नहीं हुआ है. महानिबंधक को पांच रुपये से लेकर 20 रुपये तक के कोर्ट फी स्टांप की डिमांड के लिए जनवरी में ही पत्राचार किया गया है. साथ ही दोबारा भी पत्राचार किया गया है, लेकिन अभी तक कोर्ट फी की प्राप्ति नहीं हुई है. वैसे जब से ऑनलाइन सुविधा हो गयी है तो निबंधन विभाग भी मैनुअल कोर्ट फी की प्रिंटिंग में रुचि नहीं ले रहा है.
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