PICS: बैद्यनाथ धाम ही नहीं झारखंड के ये शिव मंदिर भी है बेहद प्रसिद्ध, सावन में भक्तों की उमड़ती है भीड़
देवघर के बाबा मंदिर के अलावा झारखंड के कई अन्य मंदिर जहां देश के लाखों श्रद्धालु यहां बाबा भोलेनाथ के द्वार पर माथा टेकते हैं. पूजा ही नहीं घूमने के दृष्टिकोण से भी ये जगह बेहद शानदार है.
हिंदू धर्म में सावन के महीने को बेहद पवित्र माना जाता है. इस साल सावन 4 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. सभी श्रद्धालु सावन के माह में सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल डालते हैं. कई लोग तो सावन माह शुरू होने से पहले ही भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में जाकर पूजा अर्चना करने की तैयारी करते हैं. अगर आप भी इस साल सावन में किसी प्रसिद्ध शिव मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने की योजना बना रहे हैं तो झारखंड का रूख कर सकते हैं. क्योंकि यहां देवघर के बाबा मंदिर के अलावा कई अन्य मंदिर हैं, जहां देश के लाखों श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के द्वार पर माथा टेकते हैं. पूजा ही नहीं घूमने के दृष्टिकोण से भी ये जगह बेहद शानदार है. ऐसे में आज हम आपको झारखंड के तमाम प्रसिद्ध शिव मंदिरों के बारे में बताएंगे.
बासुकीनाथ धाम मंदिर, दुमकाझारखंड की उपराजधानी दुमका से 24 किमी की दूरी पर स्थित है बासुकीनाथ धाम मंदिर. जिसे लोग फौजदारी दरबार के नाम से भी जानते हैं. ऐसा कहा जाता है कि अगर आपने देवघर के बैद्यनाथ धाम मंदिर में माथ टेकने के बाद इस मंदिर का दर्शन नहीं किया तो आपकी पूजा अधूरी है. बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं और भगवान को शिव को जल अर्पित करते हैं.
झारखंड के देवघर में स्थित है बैद्यनाथ धाम मंदिर. जिसे लोग बाबा मंदिर के नाम से जानते हैं. ऐसी मान्यता है कि बाबा भोलेनाथ यहां आने वाले किसी भक्त को निराश नहीं करते हैं. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि ये भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से में एक है. सावन और शिवरात्रि के मौके पर लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं.
पहाड़ी मंदिर, रांचीअगर आप सावन के माह में रांची आने की सोच रहे हैं तो आप पहाड़ी मंदिर जाना न भूलें. रांची रेलवे स्टेशन से इस मंदिर की दूरी साढ़े 5 किमी है. इस स्थान को लोग फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं. कहा जाता है कि यहां स्वतंत्रता सेनानियों को अंग्रेज फांसी चढ़ाते थे. इसकी खासियत ये है कि यह मंदिर जमीन से 300 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. सावन के महीने में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है.
दलमा बाबा मंदिर, जमशेदपुररांची-जमशेदपुर एनएच-33 किनारे स्थित है दलमा पहाड़. यह पश्चिम बंगाल की सीमा से भी सटा हुआ है. इस पहाड़ की चोटी पर भगवान शिव का शानदार मंदिर है. वन विभाग की मानें तो 3000 फुट ऊंचाई पर भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर मौजूद है. श्रद्धावश लोग इन्हें दलमा बाबा के नाम से पुकारते हैं. सावन और शिवरात्रि के समय यहां पूरा जमशेदपुर शहर उमड़ आता है.
प्राचीन शिव मंदिर ,लोहरदगा, खकपरताझारखंड के लोहदगा जिले से 8 किमी की दूरी पर स्थित है प्रचीन शिव मंदिर. जो कि खकपरता नामक स्थान पर है. शिवरात्रि और सावन के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मन्नत बाबा पूरी करते हैं. ऊंची चट्टान पर स्थापित मंदिर के सामने बड़ी सी गुलैची की पेड़ मंदिर की शोभा में चार चांद लगा देते हैं.
टांगीनाथ धाम, गुमलागुमला से 70 किमी दूर डुमरी प्रखंड में भगवान शिव का बेहद प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे लोग टांगीनाथ धाम के नाम से जानते हैं. टांगीनाथ धाम में यत्र- तत्र सैंकड़ों की संख्या में शिवलिंग हैं. बताया जाता है कि यह मंदिर शाश्वत है. स्वयं विश्वकर्मा भगवान ने टांगीनाथ धाम की रचना की थी. यहां भगवान शिव का त्रिशूल है, जो जमीन पर गड़ा हुआ है. इसका अग्र भाग जमीन के ऊपर है. जिसपर कभी जंग नहीं लगता है.
प्राचीन शिव मंदिर, रामगढ़झारखंड के रामगढ़ में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर है, जहां शिवलिंग से निरंतर जलधारा गिरती रहती है. इस मंदिर के पास एक हैंड पंप है, जिसे चलाने की जरूरत नहीं पड़ती. उससे खुद-ब-खुद पानी निकलता रहता है. श्रद्धालु यहां से जल लेकर भगवान भोलनाथ को चढ़ाते हैं. इस मंदिर पर स्थित शिवलिंग के बारे में मान्यता है कि मां गंगा स्वयं भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करती हैं.