Shravani Mela: मिथिला में चार और बांग्ला पंचांग में होगी पांच सोमवारी, 2 अगस्त को नागपंचमी
14 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है. कोरोना संक्रमण के कारण दो साल बाद श्रावणी मेला का आयोजन हो रहा है. मिथिला पंचांग के मुताबिक सावन में चार सोमवारी और बांग्ला पंचांग के अनुसार पांच सोमवारी होगी. इस बार श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ने वाली है.
Shravani Mela: 13 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और 14 जुलाई से श्रावणी मेला शुरू हो रहा है. बांग्ला पंचांग के अनुसार, 17 जुलाई को संक्रांति तिथि से सावन शुरू होगा. वहीं, मिथिला पंचांग के अनुसार पूरे सावन में चार सोमवारी तथा बांग्ला पंचांग के अनुसार पांच सोमवारी का योग बन रहा है. जबकि दो अगस्त (मंगलवार) को नाग पंचमी होगा. मिथिला पंचांग के अनुसार 18 जुलाई को पहली सोमवारी, 25 जुलाई को दूसरी, एक अगस्त को तीसरी तथा आठ अगस्त को चौथी सोमवारी होगी. वहीं, 11 अगस्त को रक्षा बंधन के साथ मेला संपन्न हो जायेगा. जबकि बांग्ला पंचांग के अनुसार पहली सोमवारी 25 जुलाई और 15 अगस्त को पांचवीं सोमवारी होगी.
दूसरी और तीसरी सोमवारी को सबसे अधिक भीड़ होने की संभावना
कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद श्रावणी मेले का आयोजन हो रहा है. इस कारण इस वर्ष अधिक संख्या में कांवरियों के पहुंचने की संभावना जतायी जा रही है. अनुमान है कि श्रावणी मेले के दौरान हर दिन डेढ़ लाख से अधिक भीड़ बाबा मंदिर में पहुंचेगी. वहीं, पहली सोमवार की करीब दो लाख भक्तों की भीड़ पहुंच सकती है. यह भी अनुमान है कि दूसरी अौर तीसरी सोमवारी समेत नागपंचमी पर तीन लाख से अधिक भक्त बाबाधाम पहुंचेंगे. दूसरी ओर, बांग्ला पंचांग के अनुसार अंतिम 15 अगस्त को भी बंगाल, ओड़िशा आदि क्षेत्रों से भारी संख्या में कांवरियों पहुंचेंगे.
17 से 31 जुलाई तक होगी मधुश्रावणी पूजा
इस बार नवविवाहितों का पर्व मधुश्रावणी का आयोजन 17 जुलाई से लेकर 31 जुलाई तक होगा. जिसमें 17 को पूजा का संयोग होगा तथा 18 जुलाई से विधिवत मधुश्रावणी पूजा शुरू होगी. इसमें हर दिन शिव-पार्वती की कथा एवं खास पूजा का आयोजन किया जायेगा. 31 जुलाई को विधिवत गुगुल लगाने के साथ इस पूजा को संपन्न किया जायेगा.
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आठ से 12 अगस्त तक झुलनोत्सव कार्यक्रम
परंपरा के अनुसार, आठ अगस्त एकादशी से झुलनोत्सव प्रारंभ होगा. हर दिन बाबा मंदिर सहित शहर के अलग-अलग इलाके में झुलनोत्सव का आयोजन होगा. इसमें राधाकृष्ण की पूजा का आयोजन कर रोजाना रात को भगवान की पूजा की जायेगी. 12 अगस्त को इस उत्सव का विधिवत समापन किया जायेगा.
Posted By: Samir Ranjan.