श्रावणी मेला : कांवरिया पथ खिजुरिया में दिखा अद्भुत नजारा, ढोल-बाजे पर थिरकते रहे रायगढ़ से आये कांवरिेये
Shravani Mela: बाबा नगरी देवघर में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. भक्त यहां पहुंचर बाबा का धन्यवाद कर रहे हैं. नाच रहे हैं, गा रहे हैं. बाबा को जल चढ़ा रहे हैं.
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Shravani Mela|कांवरिया पथ से फाल्गुनी मरीक कुशवाहा : सुबह-सुबह कांवरिया पथ खिजुरिया में अद्भुत नजारा देखने को मिला. ढोल बाजे पर कांवरिये थिरकने लगे. इतना ही नहीं कांवरियों के मुख से बोल बम के जयकारे जोर-जोर से लगने लगे. बोल बम का नारा है, बाबा एक सहारा है, की गूंज से तोरण द्वार के पास का माहौल रमणीय हो उठा.
उत्तराखंड से आया 117 कांवरियों का जत्था
उत्तराखंड के रायगढ़ से 117 कांवरियों का जत्था खिजुरिया स्थित प्रवेश तोरण द्वार के पास आया और जमकर नृत्य किया. इस दौरान कई कांवरियों ने खूब सेल्फी भी ली. मानो सभी अपनी मंजिल का विजय पताका फहराने में पूर्ण रूप से सफलता हासिल कर ली है. जीत के जश्न में डूबे एक वेशधारी रायगढ़ कांवरियों की टीम करीब 20 मिनट तक थिरकते रहे और ढोल बजाने वाले देह को हर्षित करने वाला ताल देते रहा.
बाबा की धरती पर कदम रखते ही एक-दूसरे को लगाया गुलाल
फिर क्या था, उत्तराखंड से आई इस टीम के कांवरियों ने अपनी कांवर यात्रा मंजिल तक पहुंचने की खुशी में एक-दूसरे को जमकर गुलाल लगाया. गले से गले मिलकर अटूट भाईचारा का संदेश दिया. इसे देखने के लिए आसपास के दुकानदार और राहगीर भी आ गए और बोल बम, बोल बम कहते हुए उनका हौसला बढ़ाया.
अगले साल बाबा फिर हमें सही-सलामत देवघर बुलाएं – कांवरिया
टीम के कांवरियों में एक कांवरिया मनोज अग्रवाल कहते हैं कि बाबा भोलेनाथ से मन्नतें मांग रहे हैं कि जिस प्रकार सही सलामत उनकी भक्ति हम सबों को पिछले 4 साल से बाबा बैद्यनाथ की धरती पर खींच लाती है, उसी प्रकार अगले सावन में पुन: खींच लाये. आस्था की डोर इतनी मजबूत होती है कि उसे तोड़ नहीं पाते. कुछ देर बाद जलाभिषेक के लिए चल पड़ते हैं.
सरासनी में उत्साह दिखा, बोल बम की होती रही गूंज
गंगा की चिकनी मिट्टी की प्रशंसा कांवरिये कर रहे थे. शुक्रवार की वर्षा के चलते कई जगहों पर मिट्टी बह गयी, जिससे कुछ परेशानी हो रही थी. सरासनी के पास आते ही सेवा शिविरों में तैनात स्वयंसेवक चाय एवं शरबत लेकर पहुंच जाता है. बहुत ही स्नेह के साथ कांवरियों को पिला कर अपने को पुण्य का भागी समझ रहे थे.
मौसम सुहाना रहने से कांवरियों में काफी उत्साह का भाव झलक रहा था. रास्ते में बनाये गये मंदिरों में शीश झुकाते एवं आरती लेते नजर आ रहे थे. हर जगह बाबा बैद्यनाथ एवं माता पार्वती की महिमा का गान हो रहा था. मन्नतें पूरी करने की याचना करते आगे की ओर बढ़ते ही जा रहे थे.
कांवर के ऊपर शिव मंदिर और कांवर में जल
भक्ति का नमूना अद्भूत नमूना कांवरिया पथ में प्रदर्शित होता है. हाजीपुर से युवा कांवरियों का एक जत्था, जिसमें 12 युवक शामिल थे. कांवरियों ने शिव मंदिर रूपी कांवर बना लिये थे, जिसमें गंगा जल का पात्र था. एक साथ छह कांवरिये कंधा दिये जयकारे लगा रहे थे. साथ ही छह कांवरिये गति देने के लिए साथ में कदम से कदम बढ़ाने के जयकारे लगा रहे थे.
थकान मिटाने और पांवों को राहत देने के लिए भाप
मत पूछिये… सुल्तानगंज से कांवर लेकर जब चलते हैं, तो कैसे 105 किलोमीटर की दूरी कट जाती है. इसकी परवाह नहीं होती है. उक्त बातें खगड़िया के एक कांवरिया मंजीत कुमार कहते हैं. कांवरिया पथ में लगाये गये शिविर के पास भाप लेते हैं और कहते हैं कि भोलेनाथ सबका मंगल करे.
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