Shravani Mela: झारखंड के देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर विश्वप्रसिद्ध है. 12 ज्योतिर्लिंगों में बैद्यनाथ 9वां ज्योतिर्लिंग है. यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जो शक्तिपीठ भी है. यानि एकमात्र ऐसा धाम, जहां शिव और शक्ति दोनों एक साथ विराजमान हैं.
पंचशूल को माना गया है बैद्यनाथ मंदिर का सुरक्षा कवच
इसे शिव और शक्ति का मिलन स्थल भी कहा जाता है. बाबा धाम में मंदिर के शिखर पर विराजमान पंचशूल की एक खास विशेषता है. ऐसा कहा जाता है कि यह पंचशूल बाबा बैद्यनाथ मंदिर का सुरक्षा कवच है. यह किसी भी प्रकार की आपदा से मंदिर की रक्षा करता है.
रावण ने लंका के चारों द्वार पर स्थापित किया था पंचशूल का कवच
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने लंका की सुरक्षा के लिए लंका के चारों द्वार पर पंचशूल का सुरक्षा कवच स्थापित किया था. रावण को तो पंचशूल भेदना आता था, लेकिन भगवान राम इससे अनभिज्ञ थे. विभीषण ने जब श्रीराम को यह बात बताई, तब भगवान राम और उनकी सेना लंका में प्रवेश कर पाई.
पंचशूल की रहस्यमयी विशेषता
बाबा बैद्यनाथ धाम के मंदिर के शीर्ष पर लगे पंचशूल में 5 तत्व – पृथ्वी, जल, आग, आकाश और वायु हैं, जबकि त्रिशूल में तीन तत्व – वायु, जल और अग्नि हैं. बाबा बैद्यनाथ मंदिर के शिखर पर पंचशूल स्थापित है. यह अपने आप में अनूठी बात है. सभी शिव मंदिर के शिखर पर त्रिशूल होता है, लेकिन यहां पंचशूल है. देवघर का बाबा मंदिर देश का एकमात्र मंदिर है, जिसके शिखर पर त्रिशूल नहीं, पंचशूल लगा है. बाबा वैद्यनाथ धाम के इस पंचशूल को रहस्यों से भरा माना गया है.
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महाशिवरात्रि में होती है पंचशूल की विशेष पूजा
देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के शिखर पर विराजमान पंचशूल को महाशिवरात्रि के पर्व से एक दिन पहले उतारा जाता है. सफाई करने के बाद दूसरे दिन उसकी पूजा की जाती है. फिर पंचशूल को मंदिर के शीर्ष पर स्थापित कर दिया जाता है. एक खास परंपरा के तहत मंदिर के शिखर पर स्थापित पंचशूल को नीचे उतारा जाता है. जब पंचशूल को उतारा जाता है, तब मंदिर में गठबंधन पूजा बंद रहती है.
बाबा अपने भक्तों की मनोकामना करते हैं पूरी
बाबा बैद्यनाथ धाम को लेकर कई मान्यताएं हैं. कहते हैं कि बाबाधाम आने वाले भक्तों की सभी मन्नतें पूरी होती हैं. चूंकि बाबा अपने भक्तों और यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी करते हैं, इस शिवलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है.
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