Shravani Mela 2022: बचपन में पिता ने कंधे पर लाया था बाबाधाम, अब पुत्र बहंगी से करा रहा है कांवड़ यात्रा

जहानाबाद के चंदन केसरी कभी पिता के कंधे पर बाबाधाम की यात्रा की थी अब वे अपने पिता को बहंगी में बैठाकर कांवड़ यात्रा कर रहा है. उनकी पत्नी भी उनका साथ बाखूबी दे रही है. जिसकी चर्चा जोरों पर है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 25, 2022 12:17 PM

देवघर : जहानाबाद जिले के केवाली थाना अंर्तगत भौंसी गांव के चंदन केसरी त्रेता युग के श्रवण कुमार के तरह अपने माता-पिता को बांस की बहंगी पर बैठाकर सुल्तानगंज से बाबा धाम तक की यात्रा पूरी करायी. चंदन ने बुजुर्ग पिता जगरनाथ प्रसाद केसरी व मां मीना देवी को बांस की बहंगी पर बैठाया और 17 जुलाई को सुबह पांच बजे से सुल्तानगंज से जल भरकर पैदल यात्रा शुरू की.

चंदन केसरी के साथ उनकी पत्नी रानी देवी ने बांस की बहंगी का अपने कंधे पर सहारा दिया. रोज 10-12 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद सभी किसी पड़ाव पर आराम करते थे व रोज सुबह निकल पड़ते थे. करीब 85 किलोमीटर तक माता-पिता को कांधे पर लेकर पैदल यात्रा करने के बाद सातवें दिन गोड़ियारी नदी पहुंचे. गोड़ियारी में जहानाबाद से चंदन के तीन अन्य भाई, भाभी, बहन व बहनोई समेत परिवार के 15 सदस्य पहुंचे गये.

गोड़ियारी से रविवार सुबह यात्रा शुरू हुई व सभी ने बारी-बारी कर सहारा दिया व एक दिन में 25 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर रविवार शाम शिवगंगा पहुंच गये. चंदन ने बताया कि माता-पिता के साथ सोमवारी को बाबा बैद्यनाथ पर जलाभिषेक करेंगे. चंदन के माता-पिता शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ हैं.

चंदन के फैसले पर पत्नी ने दिया पूरा साथ

चंदन केसरी ने कहा कि उनके पिता जगरनाथ केसरी बहुत पहले सुल्तानगंज से देवघर तक पैदल कांवर यात्रा कर चुके हैं. चंदन कहते हैं कि बचपन में वे अपने पिता के साथ सुल्तानगंज से देवघर आये थे, इस दौरान पिताजी ने मुझे कंधे पर बैठाकर बाबा नगरी लाये थे. अब मेरी बारी आयी व पिता के साथ-साथ माता को कंधे पर लेकर सुल्तानगंज से देवघर तक लाये हैं.

चंदन की पत्नी रीना कहती हैं कि अपने सास-ससुर को कंधे के सहारे तीर्थ कराकर मैं खुद को सौभाग्यशाली समझती हूं. मैंने अपने का सिर्फ साथ नहीं निभाया, बल्कि अपने मां व पिता के समान सास-ससुर की सेवा की है. मेरे इस कार्य में मेरे मायके वाले ने भी हौसला दिया. चंदन जहानाबाद में कबाड़खाने का काम करते है. गुरु पूर्णिमा में दोनों सत्यनारायण भगवान की कथा में ही अचानक माता-पिता को कंधे के सहारे तीर्थ कराने का निर्णय लिया.

Posted By: Sameer Oraon

Next Article

Exit mobile version