बाबा बैद्यनाथ धाम में कामख्या से पधारीं हैं संध्या मां, चार दिनों तक यहां पूजा नहीं कर सकते भक्त, जानें वजह

बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके बारे में रोचक कहानियां हैं. हर एक मंदिर की जानकारी हम आपको देंगे. आज पढ़ें मां संध्या मंदिर के बारे में...

By Prabhat Khabar News Desk | July 7, 2023 1:30 PM

Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर और तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको मां संध्या मंदिर के बारे में बताएंगे

मान्यता है कि कामख्या से पधारीं थीं मां

12 ज्योतिर्लिंगों में से द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा के बाद मां शक्ति की पूजा का है. यहां मां सती का ह्दय के गिरने से इस स्थान पर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के साथ मां संध्या भी विराजमान है. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा श्रीश्री खेमकरन ओझा ने साल 1692 में निर्माण कराया था. यह मंदिर मुख्य मंदिर के दक्षिण तरफ है. मान्यता के अनुसार, सती के हृदय की पहरेदारी करने मां संध्या कामाख्या से नील चक्र पर पधारीं थीं. बाबा भोलेनाथ से पहले मां संध्या देवघर नगर में निवास करती हैं.

मां संध्या मंदिर की लंबाई लगभग 50 फीट व चौड़ाई लगभग 35 फीट है. मां संध्या के शिखर पर तांबे का कलश है. जिसे बाद में बदल कर नया कलश लगाया गया था. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे गहरे पीले रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए भक्त मंदिर प्रांगण से मां संध्या मंदिर में प्रवेश करते हैं. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भगृह में पहुंचते हैं. जहां मां संध्या, मां कामख्या के दर्शन होते हैं. ऐसी मान्यता है कि कामरुप कामाख्या से मां संध्या पधारीं हैं, सभी तीर्थ पुरोहित इसे मां कामाख्या के मंदिर के रूप में स्वीकारते हैं. यहां पर भक्तों व पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है.

चार दिनों तक मां की पूजा नहीं कर सकते भक्त

इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर मां की पूजा की जाती है. यहां पर मां संध्या की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. यहां भक्तों सालों भर मां शक्ति की पूजा कर सकते हैं. लेकिन अश्विन मास के नवरात्रि के समय भक्त चार दिनों तक मां की पूजा नहीं कर सकते. जो नवरात्रि की सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक पट बंद रहता है. दशमी तिथि दोपहर को विशेष पूजा के बाद भक्तों के लिए मां संध्या मंदिर का पट खोल दिया जाता हैं. इस मंदिर में प्रवेश करते ही तीर्थ पुरोहित जजवाडे़ परिवार के वंशज मां संध्या के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं. यह अपने यात्रियों को संकल्प पूजा, उपनयन, विवाह, मुंडन, विशेष पूजा आदि अनुष्ठान कराते हैं.

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