Loading election data...

Shravani Mela: पिट्ठू बैग में गंगाजल लाने का युवाओं में बढ़ा चलन, बारिश की फुहारों के बीच बाबानगरी आ रहे शिवभक्त

Shravani Mela: सावन के महीने में बाबा भोलेनाथ के भक्त बारिश की फुहारों के बीच बाबाधाम की ओर बढ़ रहे हैं. युवा भक्तों में पिट्ठू बैग में गंगाजल लाने का चलन बढ़ा.

By Mithilesh Jha | August 3, 2024 5:38 PM
an image

Shravani Mela|कांवरिया पथ से आशीष कुंदन : सावन में ठंडी हवा के झोंके के साथ रिमझिम फुहारों के बीच बोल-बम का उद्घोष महादेव के भक्तों में ऊर्जा प्रदान कर रही है. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन के प्रथम सोमवार से शुरू हो चुकी कांवर यात्रा अनेकता में एकता का संदेश देती हुई पूरे वातावरण को शिवमय कर रही है. बदलते परिवेश में कांवर यात्रा का स्वरूप भी बदल गया है.

अब कांवर यात्रा में युवाओं की संख्या अधिक दिख रही है. अधिकांश युवा कंधे पर कांवर लेकर नहीं, बल्कि बैग में गंगाजल व कपड़े रखकर चल रहे हैं. साथ ही कुछ युवा कांवरिया पीठ में थैले के अंदर गंगाजल के दो डिब्बे लेकर चलते दिखे. यूपी के शिवाशीष वाजपेयी बताते हैं कि उनके समय में लोग खाने के लिए घर से सत्तू और चना लेकर चलते थे.

वह कहते हैं कि एक कांवर के साथ दो लोग होते थे. यात्रा के दौरान जहां भी रात्रि विश्राम होता था, वहां क्रम से सोते थे. एक सोता था तो दूसरा अपने कंधे पर कांवर रखकर भगवान शिव का मनन करते हुए खड़ा रहता था. डीजे और लाउडस्पीकर की तो परंपरा ही नहीं थी. भक्त समूह में खुद ही साखियां, भजन और दोहे गाते हुए चलते थे.

कांवर यात्रा में युवाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है. यात्रा का स्वरूप भी युवाओं की भागीदारी से ही बदला है. युवा हमेशा कुछ नया करना चाहते हैं. दूसरे जत्थों से उनका ग्रुप अलग दिखे, इसके लिए वाहनों पर भारी तामझाम लेकर चलते हैं. अब एक कांवर के साथ दर्जनों युवाओं का जत्था बाइक और कारों से चलता है.

अब तो कुछ कांवरियों का ड्रेस कोड भी अलग रहता है. आधुनिकता व फैशन कांवर यात्रा में हावी होता दिख रहा है. पश्चिम बंगाल, असम, राजस्थान के युवा कांवरिये जत्थे में अलग ब्रांडेड हाफ कमीज व हाफ पेंट पहनकर आते हैं. ऐसे युवा कांवरिये कंधे पर गमछा रखना पसंद नहीं करते. साथ ही इन कांवरियों के जत्थे में सभी बिना कांवर के चलते नजर आये. छोटे-छोटे बैग में भरकर गंगाजल के डब्बे पीठ में लटका रखे थे.

एक 70 वर्षीय कांवरिया बिहार के पटना जिला निवासी सौमेश प्रसाद बता रहे थे कि करीब 50 साल पहले कावंर लाना बहुत कठिन था. कांवरियों को जंगलो व नदी- नाले पार करके आना होता था. जंगली जानवरों का भी खतरा होता था.

पहले कांवर यात्रा के दौरान अपने भोजन की सामग्री साथ लेकर चलते थे. रास्ते में कहीं भी पड़ाव डालकर वहीं भोजन पकाना और खाना होता था. धीरे-धीरे सेवा शिविर लगाये जाने लगे, जिससे यात्रा और भी सुलभ हो गयी. मार्ग में कई स्थानों पर स्वास्थ्य शिविर की भी व्यवस्था रहती है. प्रशासन का भी पूरा सहयोग रहता है. सुरक्षा, रोशनी की व्यवस्था तो पूरे रास्ते में अब होने लगी है.

बोलबम के जयघोष से गूंजती रही रूट लाइन

शुक्रवार को झमाझम बारिश में कांवरिये खूब उत्साहित नजर आये. मौसम अनुकूल होने के कारण बाबा पर जलाभिषेक के लिए रूट लाइन में कतारबद्ध कांवरियों को बड़ी राहत मिली. पूरी रूट लाइन हर-हर महादेव व बोल बम के जय घोष से गूंजती रही.

बारिश में कांवरियों के वेश में छोटे बच्चों ने भी मौसम का खूब मजा लिया. रूटलाइन में ऑन ड्यूटी पुलिस के जवानों को भी राहत मिली. मौसम विभाग के अनुसार देवघर में अगले तीन से चार दिनों तक बारिश होने की संभावना है. बारिश का यही आलम रहा तो सावन की तीसरी सोमवारी को कांवरियों के भीड़ उमड़ने की संभावना भी ज्यादा होगी.

बारिश में नाचते-गाते-झूमते चले कांवरिये, ओढ़ रखे थे प्लास्टिक

बारिश में कांवरिये नाचते, गाते, झूमते नजर आये. कांवरियों के उत्साह के आगे बारिश भी फीकी पड़ रही थी. वहीं कुछ कांवरिये प्लास्टिक ओढ़कर चल रहे थे. बोलबम महामंत्र के उदघोष से कांवरियों में स्फूर्ति व शरीर में गर्मी प्रदान कर रही थी. ऐसे में बारिश का कोई असर कांवरियों पर नहीं दिखा. एक मिनट में करीब 70 से अधिक कांवरिये चलते दिखे.

Also Read

Shravani Mela 2024 Live: गिरिडीह में कांवड़ियों से भरी बस पलटी, कई लोग चोटिल

Shravani Mela 2024: बाबा नगरी देवघर में इस साल क्या भाव बिकेगा पेड़ा? यहां देखें सरकारी रेट

PHOTOS: एकादशी पर बोल बम के जयकारे से गुंजायमान हुई फौजदारी बाबा की नगरी, 45000 कांवरियों ने किया जलाभिषेक

फौजदारी बाबा के दरबार में 55000 कांवरियों ने किया जलाभिषेक, आयुक्त ने दूसरी सोमवारी की तैयारियों का लिया जायजा

श्रावणी मेला 2024: देवघर बाबाधाम में बढ़ीं कूपन की दरें, शीघ्रदर्शनम के लिए देने होंगे अब 600 रुपये

Exit mobile version