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Shravani Mela: श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं को त्रिलोक का दर्शन करायेगा शिवलोक, देखें PHOTOS

Shravani Mela: श्रावणी मेले में श्रद्धालुओं को शिवलोक में त्रिलोक के दर्शन होंगे. बंगाल और झारखंड के 52 कलाकार शिवलोक को अंतिम रूप दे रहे हैं.

By Mithilesh Jha | July 14, 2024 4:11 PM
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Shravani Mela|देवघर, अजय कुमार यादव : श्रावणी मेला-2024 में द्वादश ज्योतिर्लिंग पर जलाभिषेक करने के लिए आने वाले शिवभक्तों व श्रद्धालुओं को देवघर में ही त्रिलोक के दर्शन होंगे.

देवघर में शिवलोक का निर्माण अंतिम चरण में. फोटो : प्रभात खबर

तीनों लोकों के स्वामी आदि देव महादेव के होंगे दर्शन

टावर चौक के समीप अवस्थित शिवलोक परिसर में त्रिलोक का दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं व स्थानीय लोग आकाश, पाताल लोक के साथ-साथ पृथ्वी लोक का एक साथ दर्शन कर सकेंगे. यहां भव्य आकृति के रूप में तीनों लोकों के स्वामी आदि देव महादेव का विशालकाय स्वरूप का साक्षात दर्शन भी कर पायेंगे.

शिवलोक की तैयारी में जुटे बंगाल और देवघर के कलाकार. फोटो : प्रभात खबर

शिवलोक परिसर में जनसंपर्क विभाग लगा रहा प्रदर्शनी

जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से शिवलोक परिसर में प्रदर्शनी का आयोजन किया जाना है. त्रिलोक के भव्य स्वरूप को मूर्तरूप देने के लिए प्रसिद्ध कलाकार पाबन राय के निर्देशन में 52 कलाकार (कोलकाता स्थित उत्तर 24 परगना जिला के 30 व देवघर जिले के 22) आरएन बोस लाइब्रेरी परिसर में दिन रात जुटे हुए हैं.

इस गेट से प्रवेश करेंगे, तो होगा त्रिलोक दर्शन. फोटो : प्रभात खबर

त्रिलोक में दिखेगा तीनों लोक का स्वरूप, अद्भुत दिखेगा स्वर्ग लोक

स्वर्ग लोक में ब्रह्मा, विष्णु व महेश्वर के दर्शन तो होंगे ही, शिव के समक्ष खड़े होकर प्रार्थना की मुद्रा में देवर्षि नारद श्रावण माह में देवघर आने का निमंत्रण देते नजर आएंगे. राजा भगीरथ गंगा मइया को स्वर्गलोक से धरती पर अवतरण के लिए प्रार्थना करते नजर आयेंगे.

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धरती लोक में शक्तिपीठ पर होगा फोकस

धरती लोक में आदि शक्ति माता के 9 रूपों का शक्तिपीठ के साथ श्रद्धालुओं को दर्शन कराया जायेगा, जिसमें देवघर के बाबा मंदिर में हृदयपीठ पर कलाकारों का फोकस होगा. मान्यताओं के अनुसार, मां का हृदय देवघर में गिरा था, उसे कला के जरिये परिलक्षित किया जायेगा.

श्रावणी मेला की तैयारी. फोटो : प्रभात खबर

हिंदू शास्त्रों में गरुड़ पुराण का है विशेष स्थान

हिंदू शास्त्रों में गरुड़ पुराण का विशेष स्थान है, जिसमें इंसान के द्वारा किये गये बुरे कर्मों का हिसाब नरक लोक में होता है. इसे अलग-अलग प्रतिकृतियों से लोगों को दिखाने का प्रयास होगा. शिवलोक परिसर में प्रकृति से प्रेम भाव को दर्शाते हुए झारखंड से प्रकृति पर्व की महत्ता को बताने का प्रयास होगा. इस कड़ी में झारखंड में मनाये जाने वाले कर्मा, सरहुल, बंधना, बट सावित्री पूजा जैसे पर्व-त्योहार के स्टॉल लगाये जायेंगे.

ऐसा होगा शिवलोक का नजारा. फोटो : प्रभात खबर

शिवलोक के मध्य में होगा बैद्यनाथ मंदिर, होगी रोजाना पूजा-अर्चना

इस वर्ष शिवलोक के मध्य में बाबा बैद्यनाथ का मंदिर होगा. पास में भगवान शिव व माता पार्वती का विशाल स्वरूप दर्शाया जायेगा. इस मंदिर में रोजाना सुबह-शाम पूजा-अर्चना होगी. शिवभक्त श्रद्धालु इस मंदिर के समक्ष आकर पूजा-अर्चना में शिरकत कर सकेंगे.

शिवलोक में बाबा बैद्यनाथ मंदिर का नजारा. फोटो : प्रभात खबर

शिवलोक परिसर के बाहर में बनेगा झारखंड का म्यूजियम

शिवलोक परिसर के बाहरी हिस्से में झारखंड का म्यूजियम होगा, जिसमें आदिवासी चित्रकला, वेशभूषा, चित्रकला, मिट्टी से लीपे हुए उनके छोटे-छोटे घर, मिट्टी के हल, बैल दिखाये जायेंगे. वहीं, हजारीबाग जिले की दो आदिवासी महिलाओं को आमंत्रित किया गया है, जो कोहबर व सोहराय से जुड़े गीतों को प्रस्तुत करतीं नजर आयेंगी.

शिवलोक की तैयारी अब अंतिम चरण में. फोटो : प्रभात खबर

मुख्य मंच पर दिखेगा समुद्र मंथन का नजारा

शिवलोक के मुख्य मंच के पीछे दीवार पर श्रद्धालुओं को समुद्र मंथन का दृश्य देखने को मिलेगा. भगवान विष्णु के आह्वान पर देवों व असुरों ने समवेत विधि से बल व बुद्धि का प्रयोग करते हुये समुद्र पर मंथन किया. समुद्र में मंथन के पश्चात अपार द्रव्य, संपत्ति, देवी आदि भगवान नारायण ने देवराज इंद्र को खोया हुआ उनका एरावत हाथी, सप्त ऋषियों को अनुरोध कर उन्हें कामधेनु गाय, असुरों को मदिरा की देवी प्रदान किया.

शिवलोक में भगवान भोलेनाथ और अन्य देवताओं की प्रतिकीर्ति हो रही है तैयार. फोटो : प्रभात खबर

शिवलोक को दिया जा रहा है भव्य स्वरूप

शिवलोक को भव्य स्वरूप देने के लिए आर्ट एंड क्राफ्ट से जुड़ी संस्था-कोर्निक लगातार काम कर रही है. कोर्निक के सचिव पाबन राय ने कहा कि इस पूरे प्रारूप को धरातल पर उतारने के लिए पश्चिम बंगाल खासकर कोलकाता व आसपास के इलाकों-बाग बाजार, दमदम, फुलकरिया से 30 की संख्या में कलाकार दिन-रात आरएन बोस लाइब्रेरी परिसर में तैयार किये जा रहे प्रारूप को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. देवघर जिले के भी 22 से ज्यादा मूर्तिकार, पेंटर, क्राफ्ट मैन (हस्तशिल्प से जुड़े) व जूनियर आर्टिस्ट लगातार काम कर रहे हैं.

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सावन की शुरुआत इस साल 22 जुलाई से हो रही है. इसी दिन से श्रावणी मेला की भी शुरुआत हो जाएगी.

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