भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भवसागर से हो जाता है पार : कथावाचक
मधुपुर नापितपाड़ा में कथावाचक रामानुज शरण ने की श्रीमद्भागवत कथा
मधुपुर. शहर के मीना बाजार स्थित नापितपाड़ा में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में वाराणसी के कथावाचक रामानुज शरण ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से भवसागर से पार लगती है. कहा कि परीक्षित जी श्राप के भय से संतों के चरणों में जाकर प्रश्न किया मरने वालों को क्या करना चाहिए?. इस पर महात्माओं ने कहा यदि मृत्यु के भय से मुक्त होना है तो असंग होकर भगवान का भजन करें भगवान की कृपा से हमें मृत्यु के भय से अभय होने की शक्ति प्राप्त होती है. जो मनुष्य राग द्वेष रहित होकर भगवान कृष्ण अथवा राम के नाम का स्मरण करता है गुणगान करता है भगवान उसके कामनाओं की पूर्ति तो करते है. साथ-साथ उसके मुक्ति का मार्ग भी प्रशस्त करते है आगे कपिल देवहुती संवाद के साथ अष्टांग योग का वर्णन किया और श्रीविदुर चरित्र का श्रवण कराकर विदुर-विदुरानी के प्रेम की प्रगाढ़ता के बारे में बताया. यदि प्रेम हो तो भगवान विदुर के घर साग केले के छिलके माता शबरी के झूठे बेर कर्मा बाई की खिचड़ी तक खाने को तैयार हो जाते है. अंतः करण में भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा होनी चाहिए फिर भगवान भक्त के अधीन हो जाते है. मौके पर पारायणकर्ता आचार्य मुकुंद पांडेय, यजमान राजेंद्र प्रसाद तिवारी, प्रभावती देवी, भोला नाथ तिवारी, उमेश कुमार तिवारी, सुशील तिवारी, प्रियांशु कुमार,अर्णव कुमार, साक्षी कुमारी, अजीत कुमार तिवारी, विशाखा कुमारी, रिद्धि कुमारी, कुश तिवारी व दर्जनों श्रद्धालु मौजूद थे.
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