Loading election data...

Jharkhand: योग केवल एक आसन नहीं, विद्या व विज्ञान है : स्वामी निरंजनानंद

देवघर के रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ सह सीता कल्याणम् गुरुवार से शुरू हो गया. दूसरे दिन पंडितों ने हवन कर देवी मां की आराधना की. रिखिया की कन्याओं ने नृत्य व कीर्तन से आराधना की. स्वामी निरंजनानंद जी ने प्रवचन में कहा कि योग केवल एक आसन नहीं, विद्या व विज्ञान है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 26, 2022 11:39 AM

Deoghar News: रिखियापीठ में शतचंडी महायज्ञ के दूसरे दिन पंडितों ने हवन कर देवी मां की आराधना की. रिखिया की कन्याओं ने नृत्य व कीर्तन से आराधना की. अनुष्ठान में स्वामी निरंजनानंद जी ने प्रवचन में कहा कि परमहंस स्वामी सत्यानंदजी ने कहा था कि आने वाले समय में योग एक दिन नेपथ्य में चला जायेगा. आज स्थिति वही हो गयी है. वर्तमान में योग आसन व व्यायाम के लिए प्रचलित है. योग आसन तक सीमित नहीं है, बल्कि योग विद्या, विज्ञान व एक जीवनशैली है. स्वामी सत्यानंदजी ने योग को विद्या, विज्ञान व एक जीवन शैली के रूप में दुनिया भर में पहुंचाया है.

Jharkhand: योग केवल एक आसन नहीं, विद्या व विज्ञान है : स्वामी निरंजनानंद 3

एक व्यवस्थित व संतुलित जीवनशैली को प्रसारित किया, जिसमें सत्य का आगमन हो सके. मनुष्य के विचार, व्यवहार व कर्म में सत्य का आगमन हो सके. लेकिन आज लोग इससे अलग सिर्फ एक व्यायाम के रूप में योग प्रसारित कर रहे हैं. निश्चित रूप से जो विद्या व विज्ञान की शुद्धता है वह पीछे व नेपथ्य में चला गया है. उन्होंने स्वामी सत्यानंदजी ने यह भी कहा था कि आने वाला युग भक्ति को होगा, जिसका शोद्य वैज्ञानिक भी करेंगे. मनुष्य अपने जीवन में शांति व समृद्धि की कामना चाहते हैं तो भक्ति के मार्ग में जाना होगा. भक्ति का संबंध भाव से है और भाव अनुष्ठान व देवी मां की आराधना से जागृत होगी.

Also Read: देवघर के RK मिशन में पूर्ववर्ती छात्रों के सम्मेलन का दूसरा दिन आज, स्वामी सुहितानंद ने कही यह बात
Jharkhand: योग केवल एक आसन नहीं, विद्या व विज्ञान है : स्वामी निरंजनानंद 4
महायज्ञ से पूरी सृष्टि को गुरुजी ने जोड़ा : स्वामी सत्संगीजी

स्वामी सत्संगीजी ने कहा कि शतचंडी महायज्ञ के माध्यम से परमगुरु स्वामी सत्यानंदजी ने रिखिया से पूरी सृष्टि को जोड़ने का कार्य किया है. महायज्ञ में देवी भक्ति व मंत्रो का उच्चारण का प्रवाह पूरी सृष्टि तक पहुंच रही है. अच्छे कार्य से सृष्टि समृद्ध रहेगी व बुरे कार्य से सृष्टि का विनाश होता है. यज्ञ के माध्यम से कर्मों का शुद्धिकरण किया जा रहा है. यज्ञ में सेवा, प्रेम व दान महत्वपूर्ण है. सेवा, प्रेम व दान से शुद्धिकरण होती है.जब आप दूसरों की सेवा करेंगे तो धीरे-धीरे आपका शुद्धिकरण होगा. बगैर शुद्धिकरण से जीवन में आगे नहीं बढ़ सकते हैं. रिखियापीठ में मंत्र व सेवा से कर्मों का शुद्धिकरण हो रहा है.

Next Article

Exit mobile version