Deoghar News : 15 व 16 जनवरी को राज्य भर के कॉलेज व विवि कर्मी करेंगे सांकेतिक हड़ताल : महासंघ

झारखंड विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सह एएस कॉलेज के कर्मी धीरेन्द्र कुमार राय ने कहा कि एसकेएमयू में एक माह से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को 10 जनवरी की रात चुपके से खत्म का दिया गया. इस कार्रवाई के विरोध में 15 व 16 जनवरी को राज्य के सभी कर्मचारियों द्वारा सांकेतिक हड़ताल पर रहने की घोषणा की है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 11, 2025 10:03 PM

वरीय संवाददाता, देवघर : झारखंड विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष सह एएस कॉलेज के कर्मी धीरेन्द्र कुमार राय ने कहा कि एसकेएमयू में एक माह से चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन को 10 जनवरी की रात चुपके से खत्म का दिया गया. इस दौरान रात करीब आठ बजे पुलिस प्रशासन ने विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ मिलकर विश्वविद्यालय का जबरन ताला तोड़ दिया. यह दर्शाता है कि पुलिस प्रशासन गरीब-निरीह कर्मचारियों के खिलाफ और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ है. विश्वविद्यालय का जबरन ताला तोड़ने, कर्मचारियों की मांगों को अनदेखा करने तथा आंदोलन को जबरन खत्म करने की साजिश के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन व पुलिस प्रशासन का कर्मचारी महासंघ घोर निंदा करता है. साथ ही महासंघ ने इस कार्रवाई के विरोध में 15 व 16 जनवरी को राज्य के सभी कर्मचारियों द्वारा सांकेतिक हड़ताल पर रहने की घोषणा की है. प्रदेश अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि इस घटना की निंदा करते हुए और आंदोलन के समर्थन में महासंघ की ओर से महामंत्री विश्वम्भर यादव, कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्रीय अध्यक्ष रमेश चंद्र ठाकुर, कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्रीय सचिव चन्दन कुमार, रांची विश्वविद्यालय के प्रक्षेत्रीय सचिव सुनील कुमार यादव, महासंघ के उपाध्यक्ष संतोष कुमार, महासंघ के संयुक्त सचिव वेद प्रकाश शुक्ला, एसकेएमयू के प्रक्षेत्रीय सचिव नेतलाल मुर्मू और विनोबा भावे विश्वविद्यालय के रविदास ने सर्वसम्मति से आंदोलन का निर्णय लिया है. प्रदेश अध्यक्ष ने आह्वान किया है कि 15 व 16 जनवरी, 2025 को राज्य के सभी कर्मचारी सांकेतिक हड़ताल पर रहेंगे. महासंघ ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि कर्मचारियों की उचित मांगें नहीं मानी गयी, तो राज्य के सभी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे, जिसके लिए राज्य सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन जिम्मेदार होंगे. उनकी प्रमुख मांगों में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के द्वारा उनके सातवें वेतन में वेतन निर्धारण, एसीपी/एमएसीपी को लागू करने एवं सरकार से सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 62 वर्ष करना है.

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