स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मियों में दिनभर सीएस की गिरफ्तारी की होती रही चर्चा

देवघर के स्वास्थ्य महकमा में पहले भी अधिकारियों-कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में विभागीय जांच के बाद ठंडे बस्ते में चले जाते थे. इस बार मामला एसीबी के पास पहुंचा व घूस लेते सीएस ही पकड़े गये.

By Prabhat Khabar News Desk | October 16, 2024 8:55 PM
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संवाददाता, देवघर.

देवघर स्वास्थ्य विभाग में पहली बार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद बड़ी कार्रवाही की गयी है. विभाग में पहले भी अधिकारियों-कर्मियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में विभागीय जांच के बाद मामले ठंडे बस्ते में चले जाते थे. इस बार मामला भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) तक पहुंचा, जिसने तुरंत कार्रवाही करते हुए देवघर के सिविल सर्जन डॉ. रंजन सिन्हा को 70,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. डॉ. रंजन सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद एसीबी की टीम उन्हें सिविल सर्जन कार्यालय लेकर गयी, जहां जरूरी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद उन्हें अपने साथ ले गयी. इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग में दिनभर हलचल बनी रही. सरकारी और निजी चिकित्सक, स्वास्थ्यकर्मी, सभी इस मामले की चर्चा करते रहे. कुछ कर्मियों के चेहरे पर इस गिरफ्तारी से खुशी भी झलकती दिखी. इस घटना के कारण दिनभर विभाग में किसी भी कार्यालय में कोई कामकाज नहीं हुआ.नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन रिनुअल में देरी बनी भ्रष्टाचार का कारण

मधुपुर के निवासी मो. महफुज आलम ने अपने “बंगाल नर्सिंग होम ” के रजिस्ट्रेशन रिनुअल के लिए देवघर सिविल सर्जन कार्यालय में तीन जुलाई 2024 को आवेदन दिया था. उनके नर्सिंग होम का प्रोविजनल प्रमाण पत्र 9 जून 2024 तक वैध था. स्वास्थ्य कारणों के चलते उन्होंने आवेदन में 24 दिनों की देरी की थी. आरोप है कि जब उन्होंने अपने आवेदन की स्थिति जाननी चाही, तो उनसे एक लाख रुपये की रिश्वत मांगी गयी. मो. महफुज आलम ने एसीबी को इस बारे में जानकारी दी और कार्रवाही की मांग की. एसीबी ने योजनाबद्ध तरीके से डॉ रंजन सिन्हा के घर पर 70,000 रुपये की पहली किस्त लेते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

रजिस्ट्रेशन के लिए दिये गए आवेदन और दस्तावेज जब्त

स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, मो. महफुज आलम ने अपने नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन रिनुअल के लिए जो आवेदन दिया था, उसे सिविल सर्जन ने देखकर डीडीएम के पास भेजा था. घूस की रकम मिलने के बाद ही रजिस्ट्रेशन का रिनुअल किया जाता. एसीबी की टीम ने इस आवेदन के साथ अन्य जरूरी दस्तावेज भी जब्त किए हैं. एसीबी की टीम चार अलग-अलग वाहनों में मौके पर पहुंची थी और उन्होंने सभी आवश्यक दस्तावेजों की जांच की. इस गिरफ्तारी के बाद स्वास्थ्य विभाग में सिविल सर्जन के प्रभार को लेकर चर्चाएं तेज हो गयी हैं, और आगे की कार्रवाइयों पर सबकी नजरें टिकी हैं.

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