विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ का वार्षिक महोत्सव 21 को
मधुपुर के बावनबीघा स्थित सांख्य योग के विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ
मधुपुर. शहर के बावनबीघा स्थित सांख्य योग के विश्व प्रसिद्ध कापिल मठ की गुफा में 37 वर्षों से साधनारत स्वामी भाष्कर आरण्य बुधवार को गुफा द्वार पर श्रद्धालु शिष्यों को दर्शन दिये. आगामी 21 दिसंबर को कापिल मठ में वार्षिकोत्सव मनाया जायेगा. उत्सव की तैयारी यहां जोर-शोर से चल रही है. वहीं, स्वामी भाष्कर आरण्य ने कहा कि कापिल मठ प्राचीन ऋषि परमश्री कपिल मुनि के आदर्श से प्रतिष्ठित है. जीवन में दुख से मुक्ति के लिए सांख्य-योग मार्ग को दिखाया है. शरीर धारण करने वाले लोगों को आध्यात्मिक, अधिभौतिक और दैविक दुख का सामना करना पड़ता है. आध्यात्मिक दुख में जन्म, मृत्यु व्याधि अपनों की बीमारी और मृत्यु सभी को भोगना होगा. अधिभौतिक दुख का अर्थ दूसरों की ओर से दिया गया दुख है. दैविक दुख में भूकंप बाढ़ आदि शामिल है. मानव को बाहर से शांति कभी नहीं मिलेगा. इसके लिए अंतर्मुखी होना चाहिए. हमारे भीतर एक सत्ता है, आत्मसत्ता, आत्मभाव है. आत्मसत्ता और आत्मभाव का चिंतन और उन्नति ही परम शांति का मार्ग है. सांख्य-योग ने शांति मार्ग दिखाया है. सांख्य योग के माध्यम से शांति का मार्ग बताया है. इसमें 25 तत्वों का विस्तार पूर्वक विश्लेषण करके बताया गया है. सृष्टि का पुरुष प्रकृति आत्मा और चैतन्य जड़ है प्रकृति. इसको विस्तार पूर्वक पढ़ना होगा तभी समझ में आयेगा. यम-नियम सभी धर्म को मनाना होगा. धर्म में हिंसा और ईर्ष्या मार्ग नहीं है. हमारा धर्म बड़ा उसका धर्म छोटा है यह बिल्कुल गलत है. हमको अच्छा इंसान बनना है. धर्म अच्छा इंसान बनने में सहायक है. इससे जगत में शांति होती है. धर्म द्वारा गलत लोगों को सही रास्ते पर लाया जाना चाहिए. मानव को जब तक मोक्ष नहीं मिल जाता तब तक जन्म लेते हुए दुख भोगना होता है. वह जरा, व्याधि, मृत्यु नहीं रोक सकता. परमश्री कपिल मुनि के आदर्श सांख्य-योग धर्म का पालन करना चाहिए. मुसलमान, ईसाई और हिंदुओं को अपने धर्म का ठीक से पालन करना चाहिए. कुछ मंदिर पैसा कमाने का जगह बनता जा रहा है. श्रद्धालु भक्तों की भावनाओं से खिलवाड़ नहीं होना चाहिए. कापिल मठ श्रद्धालुओं से कोई चंदा लेने का प्रावधान नहीं है. शिष्यों द्वारा स्वेच्छा से मिले सहयोग से मठ का संचालन होता है. उत्सव में देश-विदेश के विभिन्न स्थानों से प्राचीन ऋषि कापिल के अनुयायी शामिल होते है. ———————– 37 वर्षों से गुफा में सांख्य – योग की साधना कर रहे सद्गुरु स्वामी भाष्कर आरण्य आत्मसत्ता और आत्मभाव का चिंतन और उन्नति ही है शांति का परम मार्ग
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