बुझ गया तीन घरों का चिराग, एक साथ निकली अर्थी
रिखिया थाना क्षेत्र के बलसरा कोड़ाबांध गांव में बाइक दुर्घटना में तीन किशोर अरमान बाउरी, मांगन बाउरी व सुमित बाउरी की मौत की खबर से आधे दर्जन गांव में सनसनी फैल गयी. सुबह छह बजे से ही परिजनों के अलावा कोड़ाबांध गांव के कई लोग सदर अस्पताल पहुंचने लगे थे. शोक में कोड़ाबांध व रांगाटांड़ गांव में अधिकतर घरों में चूल्हा नहीं जला.
संवाददाता, देवघर : रिखिया थाना क्षेत्र के बलसरा कोड़ाबांध गांव में बाइक दुर्घटना में तीन किशोर अरमान बाउरी, मांगन बाउरी व सुमित बाउरी की मौत की खबर से आधे दर्जन गांव में सनसनी फैल गयी. सुबह छह बजे से ही परिजनों के अलावा कोड़ाबांध गांव के कई लोग सदर अस्पताल पहुंचने लगे थे. शोक में कोड़ाबांध व रांगाटांड़ गांव में अधिकतर घरों में चूल्हा नहीं जला. इतनी बड़ी घटना से सभी सदमे में थे. पोस्टमार्टम के बाद दोपहर दो बजे तीनों का शव घर पहुंचा, तो पूरा गांव दौड़ पड़ा. तीनों बच्चे की मां, दादी, नानी व चाची की चीख-पुकार से पूरे गांव के महिला व पुरुषों की आंखें भर आयीं. सब एक सुर में बोल रहे थे कि तीनों बच्चे बहुत अच्छे व्यवहार के थे. परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था. अरमान के दादा डिजन बाउरी बार-बार पोते का शव देख बेसुध हो रहे थे. तीनों की मां व बुआ शव से लिपटकर बेहोश हो रही थी. परिजनों को पूर्व मुखिया अमर पासवान सांत्वना दे रहे थे. तीनों के परिजन काफी गरीब हैं. तीनों का अंतिम संस्कार शाम पांच बजे किया गया.
पढ़ई में तेज था अरमान बाउरी
परिजनों के अनुसार, मांगन बाउरी व सुमित बाउरी बलसरा मध्य विद्यालय में सातवीं कक्षा का छात्र था, जबकि अरमान बाउरी एलपीएम प्राइवेट स्कूल में दूसरी कक्षा का छात्र था. अरमान के शिक्षक पंकज सिंह ने बताया कि अरमान अंग्रेजी का बहुत अच्छा स्टूडेंट था व पढ़ाई में तेज था. वह अक्सर अंग्रेजी में स्पीच देता था. इस घटना में एक होनहार छात्र स्कूल ने खो दिया. पिता अनूप बाउरी ने बताया कि अरमान आज्ञाकारी था और पढ़ाई में उसका मन लगा रहता था. दोस्तों के साथ बहुत कम रहता था. रविवार को वह जल्द घर आने की बात कहकर रिश्तेदार के बर्थ डे पार्टी में रांगा टांड़ गया था, लेकिन इस अनहोनी से मेरे परिवार के सामने दुख का पहाड़ टूट गया.
मजदूरी करते हैं परिजन
सुमित के पिता गुड्डू बाउरी ने बताया कि सुमित नियमित स्कूल जाने वाला था व सबसे प्यारा पुत्र था. हमलोग बहुत गरीब परिवार से है. मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. मेरे घर का एक चिराग बुझा गया. अब बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा. मांगन बाउरी घर का इकलौता पुत्र था. मांगन के पिता प्रीतम बाउरी ने बताया कि उसके बेटे रोज शाम समय पर घर आ जाता था व पढ़ाई में भी अच्छा था. बर्थडे में जाने की बात कहकर घर से निकला था, लेकिन क्या पता था कि घर का चिराग हमेशा के लिए अब लौट कर नहीं आयेगा. इस घटना से जीवन में अंधेरा छा गया है.
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