संवाददाता, देवघर . रिखियापीठ में योग पूर्णिमा उत्सव के रूप में स्वामी सत्यानंद जी के जन्मोत्सव पर महामृत्युंजय होम का अनुष्ठान शुरू हुआ. स्वामी सत्संगी जी की उपस्थिति में पंडितों ने महामृत्युंजय का शुभारंभ किया, साथ ही पंडितों ने रुद्राभिषेक किया. पंडितों ने गुरु पूजा की. कन्याओं ने भगवान शिव को समर्पित नृत्य से आराधना की. इस दौरान छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव से आये रागी जत्था ने गुरु वाणी को पेश किया. स्वामी सत्संगी जी ने कहा कि परमहंस स्वामी सत्यानंद जी का पूरा जीवन समर्पण व सेवा का रहा है. स्वामी सत्यानंद जी ने अपने इष्ट देव भगवान शिव व गुरु के आदेश पर रिखिया को कर्म भूमि चुना था. रिखिया सेवा, दान व प्रेम के साथ-साथ योग को पूरी दुनिया में एकता का रूप दिया है. सत्संगी जी ने बताया कि रिखिया में एक तपस्वी की तरह उन्होंने कार्य किया है. स्वामी सत्यानंद जी ने योग को सिर्फ आसन व प्रणायाम तक नहीं रखा, बल्कि योग को भक्ति व विज्ञान से जोड़ा. उन्होंने योग को भक्ति के साथ जोड़ने के साथ ही दुनिया में एकता के मंत्र के रूप में इसका प्रसार किया. उन्होंने बताया कि भक्ति व एकता में कोई भिन्नता नहीं है. एकता के साथ ही सभी भक्ति करते हैं. रिखियापीठ के अनुष्ठान, योग व भक्ति से अमेरिका, लंदन, यूरोप सहित कई देश जुड़ चुके है. हर अनुष्ठान में लोग भक्ति कर आध्यात्मिक उर्जा प्राप्त करते हैं. 15 दिसंबर तक इस महामृत्युंजय होम में शामिल कर भक्ति आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त कर सकते हैं. योग पूर्णिमा उत्सव पर ग्रामीणों के बीच प्रसाद व सिलाई मशीन का वितरण किया गया.
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