देवघर-दुमका रोड (एनएच 114 ए) पर सफर करना मतलब मौत को न्योता देना, 7 माह में गयी 32 लोगों की जान
देवघर-दुमका रोड (एनएच 114 ए) पर सफर करना मौत को न्योता देने के समान हो गया है. सड़क की बदहाली ने रफ्तार तो रोक ही दी है,
देवघर : देवघर-दुमका रोड (एनएच 114 ए) पर सफर करना मौत को न्योता देने के समान हो गया है. सड़क की बदहाली ने रफ्तार तो रोक ही दी है, अब तो जान भी लेने लगी है. आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से अगस्त माह तक कुल साढ़े सात माह में इस सड़क ने 32 लोगों की जान ले ली है. 51 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं.
दुमका से देवघर करीब 67 किमी की दूरी लोग भगवान का नाम लेकर तय करते हैं. सड़क की दुर्दशा ऐसी है कि इन 67 किमी में 358 गड्ढे हैं, जो बड़ी दुर्घटना को आमंत्रित करते हैं. चालक की थोड़ी से लापरवाही इन डेथ प्वाइंट पर उसकी जान तक ले सकती है. सिर्फ देवघर शहर के नगर भवन से लेकर घोरमारा तक कुल 18 किलोमीटर के दायरे में 83 ऐसे गड्ढे हैं.
वहीं, दुमका जिले की सीमा से दुमका के दुधानी स्थित टॉवर चौक 275 गड्ढे काल बन कर लोगों के सामने खड़े हैं. ये सभी गड्ढे तीन से चार फीट गहरे और दो से सात फीट तक चौड़े हैं. तेज रफ्तार में वाहन चला रहे चालकों को इन गड्ढों से बच पाना काफी मुश्किल है. अचानक ब्रेक लगाने या गहरे गड्ढे में वाहन उतार देने से बड़ी दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.
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जामा थाना क्षेत्र की स्थिति सबसे खराब : वर्तमान में दुमका-देवघर रोड में सबसे भयावह स्थिति महारो रेलवे पुल से असनथर तक की है. यह इलाका जामा थाना क्षेत्र के अधीन है. इसमें मुड़माला, सिलांदा, सुगनीबाद जैसे इलाके भी हैं. इस 11-12 किमी हिस्से में ही वर्तमान में छोटे-बड़े कुल 209 गड्ढे बन गये हैं.
इनमें 180 से अधिक गड्ढे पिछले तीन-चार महीने में तब उभरे, जब भागलपुर रोड में भुरभुरी पुल पर आवागमन बंद करा दिया गया था. इस रास्ते के बंद होने से हजारों की संख्या में न केवल चार पहिया वाहन, बल्कि ओवरलोड बड़े-बड़े मालवाहक वाहनों की दिनभर आवाजाही हो रही है.
मुड़माला व सिलान्दा में दो जगह और जामा मोड़ से आगे भारतीय स्टेट बैंक के पास सुगनीबाद (जहां मंगलवार को छह लोगो की जान गयी) में तो गड्ढों की शृंखला सी बन गयी है. इसके अलावा महारो जामा थाना सीमा से दुमका मुफ्फसिल थाना क्षेत्र करीब पांच किलोमीटर पड़ता है, जिसमें 53 बड़े-छोटे गड्ढे हैं.
इसमें हरिपुर स्थित हुंडई शो रूम के पास एवं सीमा पर स्थित छोटे पुल की स्थिति काफी जर्जर हो गयी है. पुल पर छड़ भी निकल गया है, जो बड़ी दुर्घटना को निमंत्रण दे रहा है. विगत चार महीने में आये दिन ऐसी स्थिति आती रहती है कि ट्रकों के फंसने पर क्रेन से हटाया जाता है.
चालकों के लिए चुनौती से कम नहीं : देवघर शहर के नगर भवन से लेकर घोरमारा तक कुल 18 किलोमीटर के दायरे में 83 गड्ढे हैं. गड्ढे ऐसे हैं, जिनमें दो से ढाई फीट तक वाहनों के पहिए घुस जाते हैं. इन गड्ढों को पार करना कोई हिल स्टेशन में ड्राइविंग करने से कम नहीं है. इन 18 किलोमीटर में जनवरी से जुलाई तक सात लोगों की मौत हो गयी है. दुर्घटना में 44 लोग घायल हो चुके हैं. इनमें चार बड़े-बड़े गड्ढे शहरी क्षेत्र में पड़ते हैं. बरसात के दिनों में ये गड्ढे तालाब का रूप ले चुके हैं. नगर भवन से चौपामोड़ तक महज आठ किमी के दायरे में 30 गड्ढे हैं. हर एक किलोमीटर में चार बड़े गड्ढे. इसके अलावा चोपा मोड़ से लेकर घोरमारा के पास देवघर- दुमका सीमा तक 53 गड्ढे हैं.
जरमुंडी का इलाका भी खतरनाक : इस मार्ग पर स्थित जरमुंडी का इलाका भी खतरनाक बना हुआ है. जरमुंडी प्रखंड के इलाके में 13 जानलेवा गड्ढे हैं. इन गड्ढों से बच पाना किसी भी वाहन चालक के लिए संभव नहीं है.
प्रखंड में दुमका जिला बॉर्डर के समीप, तालझारी बाजार से पूर्व थाना गेट के पास, जरदाहा जीटीआरटीसी बम शंकर पेड़ा दुकान के पास, सहारा काजू बागान के नीचे, दुधानी में सिकंदर माल के घर के पास, जरमुंडी बजरंगबली मोड़ के समीप, जरमुंडी नीचे बाजार बड़का पुलिया के पास, बासुकिनाथ नंदी चौक के पास, लठियाजोरिया काली मंदिर के पास, सरडीहा चौक यात्री शेड के समीप, नवाडीह में भारत पेट्रोल पंप के पास, सरडीहा मृत्युंजय होटल के पास व असंथर के आगे मामा होटल के पास जानलेवा गड्ढा बना हुआ है.
posted by : sameer oraon