जड़ी-बूटी के चक्कर में आदिवासी दंपती की गयी जान

सारठ अंतर्गत शिमला पंचायत के आदिवासी गांव करमचंद का है

By Prabhat Khabar News Desk | February 9, 2025 9:17 PM

सारठ. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा का हाल आदिवासी दंपती संतोष मुर्मू और संज्योती मुर्मू की मौत ने पोल खोल दिया है. यह मामला सारठ प्रखंड अंतर्गत शिमला पंचायत के आदिवासी गांव करमचंद का है. सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के उदासीनता एवं आर्थिक तंगी के कारण निजी रूप से बीमारी का इलाज नही करा पाने और गंभीर बीमारी का शिकार आदिवासी दंपती ने जड़ी-बूटी की नीम हकीम से करायी. जड़ी-बूटी लेने के बाद आदिवासी दंपती की स्थिति में सुधार होने के बजाय उल्टे बिगड़ते चली गयी. दोनों की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए परिजन गुरुवार को सारठ सीएचसी में लाये. जहां डॉ शानू आनंद ने प्राथमिक उपचार कर सदर अस्पताल रेफर कर दिया. चिकित्सक के अनुसार दोनों पति-पत्नी को खून की उल्टियां, सांस लेने में परेशानी व तेज बुखार की शिकायत थी. एंबुलेंस न मिलने पर किसी तरह सीएचसी में खड़ी एंबुलेंस में आठ सौ रुपया का तेल डलवा कर दोनों मरीज को देवघर ले गया, जहां इलाज के क्रम में शनिवार को संज्योती मुर्मू (49 वर्ष) की मौत हो गयी तथा पति संतोष मुर्मू को जवाब दे दिया. परिजन मृतक संज्योती का शव और संतोष मुर्मू को लेकर आठ फरवरी देर शाम को करमचंद गांव ले आये. नौ फरवरी को अंतिम संस्कार करने की तैयारी सुबह चल रही थी कि पति संतोष मुर्मू भी दम तोड़ दिया. इसके बाद देर शाम रिश्तेदारों के आने के बाद दोनों शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. वहीं, लोगों का कहना है कि उचित स्वास्थ्य सेवा नहीं मिलने से आदिवासी दंपती ने दम तोड़ दिया. ——————– स्वास्थ्य सेवा का गांवों में हाल : सारठ के करमचंद गांव का मामला

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