देवघर त्रिकूट रोप-वे हादसा: 1 साल बाद भी शुरू नहीं हुआ रोप-वे, घटे पर्यटक, 20000 लोगों का रोजगार प्रभावित
त्रिकूट रोप-वे से आसपास के करीब 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिले थे. स्थानीय दुकानदारों से लेकर गाइड, रेस्टोरेंट, फोटोग्राफर समेत ट्रैवलिंग से जुड़े लोगों का रोजगार प्रभावित हो गया है. रोप-वे बंद रहने से 10 फीसदी ही पर्यटक त्रिकूट पहाड़ पहुंच रहे हैं.
देवघर, अमरनाथ पोद्दार. 10 अप्रैल को त्रिकूट रोप-वे हादसे का एक वर्ष पूरा हो जायेगा. इस एक वर्ष के दौरान राज्य सरकार से गठित त्रिकूट रोप-वे हादसे की उच्चस्तरीय जांच कमेटी ने रिपोर्ट सौंप दी थी, लेकिन सरकार ने त्रिकूट रोप-वे को दोबारा चालू करने से पहले देश के अन्य इलाके में लगे रोप-वे के तकनीकी आकलन करने की योजना बनायी थी. इसके लिए उच्चस्तरीय तकनीकी टीम को भेजना था, लेकिन अब तक यह आकलन नहीं हो पाया है. इधर, घटना के बाद से त्रिकूट पहाड़ पर पर्यटकों के आगमन में काफी कमी आ गयी है.
20 हजार लोगों का रोजगार प्रभावित
त्रिकूट रोप-वे से आसपास के करीब 20 हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिले थे. स्थानीय दुकानदारों से लेकर गाइड, रेस्टोरेंट, फोटोग्राफर समेत ट्रैवलिंग से जुड़े लोगों का रोजगार प्रभावित हो गया है. रोप-वे बंद रहने से 10 फीसदी ही पर्यटक त्रिकूट पहाड़ पहुंच रहे हैं. यहां पर्यटन विभाग का होटल भी बंद हो गया है. साथ ही सरकार को सालाना लाखों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है. रोप-वे से रोजी-रोटी का जुगाड़ करने वाले आज भी त्रिकूट रोप-वे के चालू होने का इंतजार कर रहे हैं.
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30 युवक चेन्नई कर गये पलायन
त्रिकूट रोप-वे बंद होने के बाद दोबारा चालू होने की उम्मीद नहीं देखकर त्रिकूट के समीप रहने वाले सिरसा व बसडीहा गांव के करीब 30 युवक रोजगार की तलाश में चेन्नई चले गये. ये सारे युवक रोप-वे परिचालन के दौरान गाइड, फोटोग्राफी व दुकान चलाकर रोजगार करते थे. घर के दरवाजे पर रोजगार बंद देख सभी युवक दो माह के दौरान ही चेन्नई चले गये व अलग-अलग फैक्ट्री में मजदूरी कर रहे हैं.
46 घंटे के ऑपरेशन पर पूरे देश की टिकी थीं निगाहें
10 अप्रैल, 2022 को त्रिकूट रोप-वे हादसा हुआ था. घटना के बाद ट्रॉली में हवा में लटके 46 लोगों को रेस्क्यू कर निकाला गया था, जबकि तीन लोगों की मौत हो गयी थी. इस ऑपरेशन में 46 घंटे लग गये थे. इस खौफनाक मंजर पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई थीं. सीएम से लेकर पीएम तक इस रेस्क्यू की मॉनिटरिंग कर रहे थे. इस रेस्क्यू में वायु सेना, एनडीआरएफ, आइटीबीटी समेत स्थानीय पुलिस-प्रशसन व आम लोग भी शामिल थे. इस सफलता के बाद वायु सेना ने भी त्रिकूट रोप-वे हादसे को सबसे कठिन रेस्क्यू बताया था. इस रेस्क्यू में शामिल सेना, पुलिस-प्रशासन व आम लोगों की सराहना पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम हेमंत सोरेन की थी.
धीरे-धीरे पलायन कर रहे युवा
दुकानदार देवाशीष चौधरी ने कहा कि रोप-वे बंद होने से पर्यटकों की संख्या 10 से 20 फीसदी ही रही है. वे त्रिकूट पहाड़ केवल घूमने आते हैं. अगर रोप-वे चालू नहीं हुआ, तो इस इलाके के करीब 20 गांव के लोगों को रोजगार की तलाश में प्रदेश जाना पड़ जायेगा. गांव के युवक धीरे-धीरे घर छोड़ रहे हैं.
अब नहीं चल रही दुकानदारी
दुकानदार दिनेश कॉपरी कहते हैं कि रोप-वे चालू रहने से सालोंभर पर्यटक आते थे, अब स्थिति यह है कि किसी भी दिन एक भी पर्यटकों की गाड़ी त्रिकूट में नहीं लगती है. दुकानदारी नहीं चलने से घर चलाना मुश्किल हो गया है. अब तो लोगों को कर्ज लेना पड़ रहा है. हालांकि अब भी रोप-वे चालू होने का इंतजार है.