केंद्र सरकार आउटसोर्सिंग के नाम पर कोयला खदानों का कर रही है निजीकरण : एटक
यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन ने गेट मीटिंग कर कोयला खदानों के निजीकरण का आरोप लगाते हुए जोरदार विरोध-प्रदर्शन किया. नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान अपनी कई मांगें रखीं
चितरा . यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन ने चितरा कोलियरी स्थित वर्कशॉप के पास विरोध सप्ताह के तहत गेट मीटिंग कर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. विदित हो कि यूनियन के दिशा निर्देश पर नौ अगस्त से 14 अगस्त तक विरोध सप्ताह मनाया जा रहा है. इस क्रम में मंगलवार को चितरा कोलियरी स्थित मुख्य वर्कशॉप के सामने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और कोयला उद्योग का निजीकरण करने के खिलाफ गेट मीटिंग कर विरोध-प्रदर्शन किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता एटक सचिव होपना मरांडी ने की. इस मौके पर एटक सह मजदूर नेता पशुपति कोल ने मजदूरों को संबोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार आउटसोर्सिंग के नाम पर कोयला खदानों का निजीकरण कर रही है ओर साजिश के तहत देश के बड़े-बड़े उद्योगपतियों के हाथों में खदानों को बेच रही है.
रैयतों की ली जा रही है जमीनें, उन्हें नहीं मिला रहा उचित मुआवजा
कहा कि कोयला खदानों का राष्ट्रीयकरण 1974 में हुआ था . उस समय कोयला उद्योग क्षेत्र में कुल लाखों मजदूर कार्यरत थे, जब की वर्तमान समय में 2022, 23 और 24 में कोयला मजदूरों की संख्या घटकर 2.28000 हो रह गयी है. जो चिंता का विषय है. कहा कि एक ओर जहां पूरे कोल इंडिया में सालाना एक हजार मिलियन टन कोयले का उत्पादन होता है. इधर प्रबंधन राज्य के मूल रैयतों की जमीन ले रही है. विस्थापन हो रहा है. सवाल उठाया कि लोगों की जमीनें ली जा रही हैं, लेकिन नियोजन नीति के तहत नौकरी व उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है.
यूनियन ने प्रबंधन के सामने रखी कई मांगें
यूनियन की मांग है कि एक एकड़ जमीन के एवज में एक नौकरी दी जाये, निजीकरण बंद हो, मेडिकल अनफिट महिला कर्मियों के आश्रित पुत्रों को नौकरी दी जाये,. श्रम कानूनों में संशोधन करना बंद किया जाये. समान काम के लिए समान वेतन लागू हो और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के अनुसार रैयतों को जमीन के बदले मुआवजा दिया जाना चाहिए. मौके पर फनी कोल, शिबू दास, षष्टी महतो, जाकिर हुसैन, फनी महतो, राजन महतो, राजेश कोल, दिलीप टुडू, छोबोनी मरांडी, लोगोनी मझियान, बालावती दासिन, शोभा देवी, मंजू देवी, राम प्रसाद दास, दिनेश महतो, रतन कोल समेत अन्य उपस्थित थे.
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