Deoghar News : नवरात्र प्रारंभ होते ही गांव से लेकर शहर तक भक्ति गीत गूंज रहे हैं. हर तरफ मां दुर्गे की आराधना को लेकर माहौल भक्तिमय बना हुआ है. हर जगह माता के भक्तों व पुजारियों द्वारा दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है. जिले भर में 400 से अधिक देवी मंडपों पर माता की आराधना की जा रही है. कई ऐसे देवी मंडप हैं, जहां सैकड़ों सालों से मां की पूजा की परंपरा चली आ रही है. प्राचीन मंडपों में भक्तों की भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन को भी विधि-व्यवस्था संभालनी पड़ती है. शहर के प्राचीन मंडपों में शामिल बाबा मंदिर पूरब द्वार स्थित घड़ीदार मंडप, श्यामा चारण मिश्र लेन स्थित स्वरूप चरण मंडप, बाबा मंदिर परिसर स्थित भीतरखंड दुर्गा मंडप, रोहिणी दुर्गा मंडप में प्रथम पूजा से ही श्रद्धालु मां की पूजा के लिए पहुंचने लगते हैं. कई मंडपों में महिलाएं, युवतियां व बच्चे-बच्चियां रोजाना आकर दीप जलातीं हैं. सप्तमी से माता के दर्शन के लिए इन जगहों पर लंबी कतार लग जाती है. अष्टमी के दिन भीड़ को कंट्रोल करने के लिए मुहल्ले के लोग व घंटों खड़े रहकर लोगों का सहयोग करते हैं. चक्रवर्ती लेन, डोमासी, बंगलापर, अभया दर्शन, बिलासी बरगाछ, भैया दलान, हृदयापीठ मंडप, ये ऐसे मंडप हैं जिनका भी इतिहास 20 से 500 साल तक का बताया जाता है.वहीं, बैद्यनाथपुर, बंधा, रामपुर, बलसरा, बेलाबगान, कोरियासा, चांदपुर आदि जगहों के पूजा मंडपों में भी माता की पूजा होती आ रही है. इसके अलावा सारठ के कुकराहा दुर्गा मंडप, सोनारायठाढ़ी के तालझारी मंडप, सारवां के दुर्गा मंडप सहित दर्दमारा, घोरमारा, देवीपुर, करौं, मारगोमुंडा, बुढ़ैई, मधुपुर, सिमरा, ब्रह्मपुरा आदि जगहों पर भी सालों से पूरे विधि-विधान के साथ पूजा की जा रही है.
शारदीय नवरात्र की पंचमी तिथि को मां दुर्गा के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता की विधिवत पूजा अर्चना की गयी. शुक्रवार को मां के छठे स्वरूप कात्यायनी की पूजा की जायेगी. सभी पूजा मंडपों और पंडालों में पूजा समितियों द्वारा बेल वृक्ष में जाकर बेलभरनी की पूजा कर माता को वेदी पर आने का निमंत्रण दिया जायेगा. कहीं पर यह पूजा तांत्रिक विधि से तो किसी जगह वैष्णव पद्धति से होगी. बेलभरनी पूजा तीन बजे से लेकर देर शाम सात बजे तक चलेगी. सप्तमी की अहले सुबह सभी बेल के वृक्ष के पास डोली में नवपत्रिका को बिठाकर तालाब लाया जायेगा. यहां माता को शाही स्नान कराने के बाद नवपत्रिका को मंडपों में प्रवेश कराया जायेगा. इसके बाद प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा कर पूजा प्रारंभ की जायेगी. शनिवार से पूजा मंडपों एवं पंडालों का पट खोलने के बाद भक्तों की भीड़ उमड़नी शुरू हो जायेगी.
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