झारखंड का एक ऐसा गांव जहां के ग्रामीण नशेपन से हैं कोसों दूर, पढ़ें पूरी खबर
झारखंड का एक गांव है टिकोरायडीह. इस गांव के ग्रामीण नशेपन से कोसो दूर है. गांव में शांति व्यवस्था कायम करने के उद्देश्य को सामूहिक रूप से गांव में नशा सामग्री और नशा करने वालों पर प्रतिबंध लगा रखा है. ग्रामीणों की दृढ़ इच्छाशक्ति से यह संभव हुआ है. इसका असर है कि गांव अब समृद्धि की ओर बढ़ रहा है.
देवघर, राजीव रंजन : देवघर जिला के सारवां प्रखंड क्षेत्र की पहरिया पंचायत के टिकोरायडीह गांव आज पूरी तरह नशा से मुक्त गांव है. इस गांव के लोग किसी भी तरह का नशा नहीं करते हैं. इस गांव में करीब 110 घर है तथा आबादी करीब 800 है. करीब चार साल से इस गांव के कोई भी महिला या पुरुष के अलावा युवा नशापान नहीं करते हैं. गांव को नशा मुक्त बनाने में यहां की ग्राम उत्थान समिति के युवा सदस्यों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है.
नशा मुक्ति के लिए छेड़ी मुहिम का दिखा असर
नशा मुक्ति के लिए देशभर में कई प्रकार की योजनाएं बनायी जाती हैं, लेकिन ऐसी योजनाएं सफल होने की दौड़ में कहीं पीछे छूट जाती हैं. लेकिन, टिकोरायडीह गांव के कुछ युवाओं और गांव के गण्यमान्य लोगों ने मिलकर नशा मुक्ति के लिए मुहिम छेड़ी और आज गांव के लोग पूरी तरह से उसमें कामयाब भी हो गये. इतना ही नहीं इस गांव में आने वाले दूसरी जगह के लोगों को भी नशा करके आने की सख्त मनाही है. साथ ही गांव के लोग अब दूसरे गांव के लोगों को भी नशा मुक्ति को लेकर लगातार जागरूक कर रहे हैं तथा आसपास के क्षेत्र के लिए यह गांव उदाहरण बन गया है.
शिक्षा ने संकल्प को बनाया आसान
टिकोरायडीह गांव के लोगों ने बताया कि वर्ष 1935 में गांव के शिक्षाविदों सर्वानंद ठाकुर, गौरी शंकर ठाकुर समेत अन्य ने गांव में ग्राम उत्थान पुस्तकालय समिति का गठन किया था, जो आज भी चल रहा है. पुस्तकालय में आज भी कई पुराने उपन्यास हैं. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में गांव में कोई ऐसा घर नहीं था, जिसके यहां कोई शिक्षक नहीं हों. इन सभी ने गांव के उत्थान के लिए संदेश दिया था कि बुराई को छोड़ो, अच्छाई काे अपनाओ. जिस पर आज भी गांव के लोग चलते आ रहे है. आज गांव के करीब 50 लोग सरकारी नौकरी कर रहे हैं. शिक्षा का ही असर है कि पिछले चार वर्षों से गांव नशा मुक्त बना हुआ है.
अक्तूबर 2019 में लोगों ने ली थी नशामुक्ति की शपथ
गांव के लोगों ने बताया कि गांव को नशामुक्त बनाने के लिए ग्राम उत्थान समिति के सदस्यों व गांव के लोगों ने अक्टूबर 2019 में लक्खी पूजा के दिन शपथ ली थी. समिति के सदस्यों और ग्रामीणों के प्रयास से गांव को नशामुक्त ग्राम बनाना संभव हुआ है. इसके लिए समिति के सदस्यों ने गांव के लोगों को नशा से होने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक किया. साथ ही नशा करने वाले लोगों के घर-परिवार में होने वाले कलह की जानकारी देते हुए नशा नहीं करने के लिए प्रेरित किया. इसके बाद धीरे- धीरे ग्रामीणों ने नशा को छाेड़ कर गांंव को नशामुक्त बनाने की योजना को सफल बनाया. आज हर साल लक्खी पूजा के दिन लोगों को नशा मुक्त को लेकर जानकारी दी जाती है और शपथ दिलायी जाती है.
ग्राम उत्थान पुस्तकालय समिति निभा रही अहम योगदान
गांव में वर्ष 1935 में ग्राम उत्थान पुस्कालय समिति का गठन किया था, जो आज भी चल रहा है. लोगों ने बताया कि गांंव के शिक्षाविद् सर्वानंद ठाकुर कवि थे, जिन्होंने नागार्जुन के साथ भी कई कविताएं लिखी हैं. उनके साथ शिक्षक गौरी शंकर ठाकुर समेत अन्य ने समिति बनायी थी. वर्तमान में इस समिति में अध्यक्ष अनिल ठाकुर, मंत्री निरंजन ठाकुर और कोषाध्यक्ष अभय कांत ठाकुर हैं. समिति के सदस्य लोगों को शिक्षित करने के साथ लोगों को नशा नहीं करने को लेकर जागरूक कर रहे है. ग्रामीणों ने बताया कि आज गांव में करीब 97 प्रतिशत लोग शिक्षित हैं और गांव के शत-प्रतिशत लोग नशे से दूर हैं. समिति के सदस्यों की ओर से दूसरे गांव से आने वाले लोगों को भी नशा से मुक्ति को लेकर जागरूक कर रहे हैं.
गांव की किसी भी दुकान में नहीं बिकता नशा का सामान
गांव को नशा से मुक्त बनाने के लिए लोगों ने मिलकर बीड़ा उठाया कि गांव के किसी भी दुकान पर नशे का सामान नहीं बिकेगा तथा इसमें गांव के लोग कामयाब भी हुए हैं. गांव की किसी भी दुकान में चार सालों से नशे का कोई भी उत्पाद नहीं बिकता है. खास बात यह है कि गांव वालों ने इस मुहिम में भरपूर साथ देते हैं. पूरे गांव में घोषणा की गयी है कि कोई भी इस प्रकार का सामान नहीं बेचेगा.
गांव के लोगों से प्रभावित हुए थे सांसद
नशा से मुक्त गांव टिकोरायडीह के ग्रामीणों से गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे भी प्रभावित हुए थे. एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने सांसद इस गांव में गये थे. इस दौरान उन्हें बताया गया कि टिकोरायडीह गांव पूरी तरह से नशामुक्त है. इसमें गांव की ग्राम उत्थान समिति के सदस्यों व युवाओं का प्रमूख योगदान है. इस दौरान सांसद ने मंदिर निर्माण में सहयोग करते हुए ग्रामीणों के इस प्रयास पर काफी प्रभावित हुए थे. उन्होंने गांव के नश मुक्त होने को लेकर लोगों की सराहना भी की थी. साथ ही उन्होंने गांव में पक्की सड़क के निर्माण करने को लेकर पीएमजीएसवाई के तहत अनुशंसा भी की है.
चार साल पहले नशा के कारण पैसे ही होती थी बर्बादी, परिवार चलाने में बढ़ी परेशानी
ग्रामीणों का कहना है कि टिकोरायडीह गांव में करीब चार साल पहले 40 फीसदी पुरुष किसी ना किसी प्रकार से नशा करने के आदि हो गये थे. इस कारण कई घरों में प्रतिदिन कलह भी होता रहता था. अधिकतर लोग भांग खाने के आदि थे. हर शाम को उन्हें भांग चाहिए था. कुछ लोग तो सुबह उठने के बाद सबसे पहले भांग खा लेते थे. साथ ही खैनी व गुटखा भी खाते थे. वहीं युवाओं में खैनी और गुटखा का प्रचलन सबसे अधिक था. बड़े-बुजुर्गों द्वारा मना करने पर उनकी बातों को अनसुना कर दिया जाता था. इसके अलावा कुछ लोग शराब के भी आदी हो गये थे, जाे गांव से अक्सर बाहर रहते थे. दूसरे लोगों के संगत में आने से शराब पीने की लत लग गयी थी. घर वाले जब शराब छोड़ने को करते थे, तो कई बार घर में कलह होने लगता था. कमाई की अधिकतर पैसे भी नशे में खर्च कर देते थे, जिससे घर चलाने में भी परेशानी हो रही थी. बच्चों को अच्छी शिक्षा भी नहीं दे पा रहे थे. नशे की वजह से लड़ाई-झगड़ा होने पर कई बार मामला थाने तक भी पहुंच गया था. इसके बाद ग्रामीणों व समिति के सदस्यों के समझाने व सहयोग से धीरे-धीरे गांव के लोग नशे से तौबा करने लगे. आज गांव के सभी लोग साथ नशा मुक्ति में सहयोग कर रहे है. सभी लोग नशा मुक्त रहने की शपथ ले चुके हैं.