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बाबा बैद्यनाथ के दर्शन मात्र से मिट जाती है थकान, जानें मलमास में शिव पुराण क्यों सुनते हैं भक्त

पुरुषोत्तम मास व बांग्ला सावन में भी भक्त सुल्तानगंज से कांवर यात्रा लेकर बाबाधाम आ रहे हैं. बाबा पर जलार्पण के बाद भक्तों के चेहरे पर खुशी देखी जा रही है. उनका कहना है कि बाबा के दर्शन मात्र से थकान दूर हो जाती है. वहीं मलमास में शिव पुराण सुनने का भी अलग महत्व बताया गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | August 5, 2023 12:14 PM

Sawan 2023: पुरुषोत्तम मास व बांग्ला सावन में सुल्तानगंज से कांवर यात्रा पर भक्तों के बाबाधाम आने का सिलसिला जारी है. वहीं, कम समय में बाबा पर जलार्पण करने से भक्त काफी खुश हो रहे हैं और व्यवस्था की तारीफ भी कर रहे हैं. जलार्पण कर बाहर निकल रहे भक्तों के चेहरे की खुशी देखते ही बन रही है. भक्तों का कहना है कि सुल्तानगंज से जल उठाने के बाद बाबा मंदिर पहुंचने तथा बाबा के दर्शन मात्र से थकान मिट जाती है. बाबा पर जलार्पण के बाद अधिकतर श्रद्धालु मां पार्वती को जलार्पण कर काल भैरव एवं आनंद भैरव मंदिर में जाकर कांवरिये जलार्पण कर रहे हैं.वहीं पुरुषोत्तम मास के श्रद्धालु भैरव का प्रिय भोग रोट अर्पित कर लोक गीत पर मंदिर में नाचते दिख रहे हैं.

हर दिन की तरह बाबा मंदिर का पट अहले सुबह सवा तीन बजे खुला. उसके बाद पुजारी सोनाधारी झा ने मां काली की पूजा करने के बाद बाबा के पट को खुलवाया. पट खुलने के बाद पुजारी ने सबसे पहले मंदिर में चढ़ी पूजा सामग्री को हटा कर कांचा जल पूजा शुरू करायी. इस परंपरा के तहत पुरोहित परिवार के लोगों ने करीब 20 मिनट तक जलार्पण किये. अंत में श्री झा ने बाबा को मिट्टी के घड़े से जल अर्पित कर कांचा जल पूजा को संपन्न कर दैनिक सरदारी पूजा प्रारंभ की. करीब 40 मिनट तक षोड्शोपचार विधि से सरदारी पूजा करने के बाद सवा चार बजे सुबह से आम भक्तों के लिए अरघा के माध्यम से जलार्पण प्रारंभ कराया. शुक्रवार को बाबा मंदिर में काफी कम भीड़ देखी गयी. कम भीड़ के कारण पट खुलने के साथ ही आये भक्तों को मानसरोवर स्थित फुट ओवरब्रिज से कतारबद्ध कराया गया.

सुल्तानगंज से दंड देते हुए पहुंची स्मृति

देवघर शहर के भोला पंडा पथ निवासी स्मृति पांडेय ने मनोकामना पूर्ण होने के बाद एक महीने में सुल्तानगंज से दंडवत यात्रा कर शुक्रवार को देवघर पहुंची. उन्होंने बताया कि बाबा से बड़ा कोई दानी नहीं है. इनके दरबार में जिसने भी सच्चे मन से जो मांगा है, बाबा ने उसकी झोली भर दी है. उन्होंने चार जुलाई को पहला सावन के दिन सुल्तानगंज से दंड देना शुरू किया और चार अगस्त को भूत बंगला पहुंची हैं. शनिवार को अपने कुल देवी खुशी दत्त द्वारी लेन में मनसा मां का दर्शन करते हुए बाबा मंदिर सहित सभी मंदिरों की परिक्रमा पूरी करने के बाद रविवार अहले सुबह कांचा जल चढ़ायेंगी. उन्होंने इस यात्रा को पहली और आखिरी यात्रा बतायी. उन्होंने कहा कि उनके पति मनोज पांडे की तबीयत खराब हो गयी थी, तो मन्नत मांगी थी. बाबा की दया से सब ठीक हो गया, इसलिए वह दंड देने हुए बाबाधाम पहुंचीं.

पुरुषोत्तम मास में शिव पुराण का श्रवण कर रहे भक्त

पुरुषोत्तम मास में आये भक्त बाबा मंदिर में बैठकर शिव पुराण का श्रावण कर रहे हैं. प्रथम दिवस शिव पुराण प्रारंभ करने से पहले पोथी पूजन किया गया. शुरुआत में बताया गया कि शिव का अर्थ है कल्याण. शिव पुराण मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करने वाली कथा है. पुरुषोत्तम मास में शिव कथा का श्रवण करना अत्यंत पुण्यदायी होता है. शिव पुराण में भगवान भोलेनाथ के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है. इस संबंध में पंडित संजय मिश्र बताते हैं कि इस पुराण में 24000 श्लोक हैं एवं इसके रचयिता वेदव्यास हैं. इस पुराण में कुल छह खंड हैं, जिनमें विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, कैलाश संहिता एवं वायु संहिता, जिनका सरस व संक्षिप्त विवरण अगले छह दिनों में कथा वाचक द्वारा सुनाया जायेगा. कथा के पूर्व वृहद रूप से भगवान शिव परिवार व मंडल पूजन संपन्न हुआ. कुल सात पार्थिव शिवलिंग, शिव परिवार एवं द्वादश ज्योतिर्लिंग के सांकेतिक स्वरूप बनाए गये. कथा के पहले दिन संपन्न होने के बाद भक्तों द्वारा प्रसाद का वितरण किया गया. इस दौरान महिलाओं ने 1008 बेलपत्र शिव को अर्पित कर मंगलकामना की.

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15 दिनों बाद खुला विकास पात्र, 22 लाख रुपये से अधिक की आमदनी

बाबा मंदिर परिसर में लगे 19 दान पात्रों को 15 दिन बाद शुक्रवार को खोला गया तथा दान में मिली राशि की गिनती की गयी. इन दान पत्रों से मंदिर को कुल 22,03,142 रुपये की आमदनी हुई. मंदिर प्रशासक सह डीसी विशाल सागर के निर्देश पर सहायक मंदिर प्रभारी सुनील कुमार व बाबा मंदिर के मुख्य प्रबंधक रमेश परिहस्त की अगुवाई में विकास पात्र को खोला गया. वहीं प्रशासनिक भवन में लाकर दिन के 11:30 बजे से गिनती प्रारंभ की गयी, जो शाम 6:40 बजे तक चली. दान पत्रों से विदेशी मुद्रा के तौर पर सबसे अधिक नेपाली मुद्रा 10,330 रुपये तथा भूटानी मुद्रा 165 नगुल्ट्रम निकले.

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