1977 के चुनाव के हीरो थे एके राय

धनबाद: मेरी राय,आपकी राय, सबकी राय, ए के राय. जेल का ताला टूटेगा, एके राय छूटेगा. सन सतहत्तर की ललकार, दिल्ली में जनता सरकार. ये नारे हैं 1977 के. ऐसे ही आवेगात्मक नारों के बीच एके राय ने जेल से नामांकन भरा और बड़े अंतर से सन सतहत्तर का चुनाव जीता. एके राय का लोक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 23, 2014 9:15 AM

धनबाद: मेरी राय,आपकी राय, सबकी राय, ए के राय. जेल का ताला टूटेगा, एके राय छूटेगा. सन सतहत्तर की ललकार, दिल्ली में जनता सरकार. ये नारे हैं 1977 के. ऐसे ही आवेगात्मक नारों के बीच एके राय ने जेल से नामांकन भरा और बड़े अंतर से सन सतहत्तर का चुनाव जीता.

एके राय का लोक सभा का यह पहला चुनाव था. जीतने के बाद वह जेल से बाहर निकले. राय साहब के सहयोगी व बिहार कोलियरी कामगार यूनियन के कोषाध्यक्ष राम लाल बताते हैं : देश मे आपात काल लागू था. राय साहब हजारीबाग जेल मे बंद थे. हमलोग पुलिस से भागे फिर रहे थे.

लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई. जय प्रकाश नारायण (जेपी) के आदमी जेल में राय साहब से मिले और जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने को कहा. राय ने कहा हम मार्क्‍सवादी समन्वय समिति से चुनाव लड़ेंगे. एके राय जनता पार्टी समर्थित मासस उम्मीदवार घोषित हुए . सवाल खड़ा हुआ नामांकन कैसे होगा. तब सत्तर साल की उम्र मे युगांतर अखबार के संपादक मुकुटधारी सिंह ने गजब का जोश दिखाया. पैर टूटा हुआ था. इसके बावजूद मोटरसाइकिल में पीछे बैठकर हजारीबाग जेल गये और नोमिनेशन पेपर पर एके राय का हस्ताक्षर करा लाये. चुनाव अभियान की कमान विनोद बिहारी महतो, एसके बक्सी, उमा शंकर शुक्ला, मुकुटधारी सिंह, सीएम सिंह, केसी राय चौधरी, जमुना सहाय, राज नंदन सिंह आदि ने संभाली. केपी भट्ट चुनाव एजेंट बने.

विरोधियों ने कोशिश की कि एके राय को तीर-धनुष चुनाव चिह्न न मिल सके. लेकिन वे सफल नहीं हो सके.आम जन जोश मे थे. मतदान संपन्न होने के बाद बूथ से जब बैलेट बाक्स स्ट्रांग रूम के लिए चला तो कार्यकर्ता भी साथ गये थे. स्ट्रांग रूम में पहरा दिया. राम लाल कहते हैं 20 मार्च 1977 में मतगणना शुरू हुई. धनबाद समाहरणालय परिसर मे लगे शामियाना में गिनती हो रही थी. पहले चक्र से ही राय दा ने बढ़त ले ली. रात डेढ़ बजे परिणाम घोषित हुआ. एके राय ने कांग्रेस प्रत्याशी राम नारायण शर्मा को 141849 मतों से पराजित कर दिया. एके राय को 205495, राम नारायण शर्मा को 63646 और सीपीआइ के गया सिंह को 17658 मत मिले थे. चार निर्दल बुधन राम, हराधन सिंह, पदम कुमार राय और राम जान मियां भी खड़े थे. उन्हे एक प्रतिशत भी मत नहीं मिले. इसके बाद एके राय 1980 का लोस चुनाव भी जीते. उन्होंने योगेश्वर प्रसाद योगेश को पराजित किया. 1984 में वह कांग्रेस के शंकर दयाल सिंह से पराजित हुए. आखिरी बार वह 1989 में जीते. उन्होंने कांटे की टक्कर में समरेश सिंह को पराजित किया था. स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण एक राय इन दिनों राजनीति से अलग-थलग हैं.

Next Article

Exit mobile version