फूट रातों की फजीलत खास होती है

धनबाद : मुसलिम कौम का सबसे पावन महीना रमजान का होता है. सबे कदर रमजान के आखिरी दम रातों में फूट रात (जो जोड़ा न हो़) जैसे 23, 25, 27 इन रातों की खास फजीलत है. फूट रातों की एक रात इबादत करने से हजार महीना इबादत करने का सबाब मिलता है. ये बातें जामा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2017 6:21 AM

धनबाद : मुसलिम कौम का सबसे पावन महीना रमजान का होता है. सबे कदर रमजान के आखिरी दम रातों में फूट रात (जो जोड़ा न हो़) जैसे 23, 25, 27 इन रातों की खास फजीलत है. फूट रातों की एक रात इबादत करने से हजार महीना इबादत करने का सबाब मिलता है. ये बातें जामा मस्जिद पुराना बाजार के इमाम निजामुद्दीन ने कही. उन्होंने कहा कि रोजा में मगरीब और फजर की नमाज अहम होती है. इसके बीच तराबीह की नमाज अदा की जाती है, जो अल्लाह ताला को बहुत पसंद है. तहज्जुद की नमाज भोर के पहले पहर में अदा की जाती है. मुल्क में अमन चैन सुकून और शांति मांगने का महीना है. रोजा रखनेवालों पर खुदा की रहमत बरसती है. कल माहे रमजान का आखिरी जुमा है.

कहते हैं रोजेदार
दस साल से रोजा रख रहे हैं. हमारे कौम का सबसे पावन महीना रमजान का होता है. इस लाम में रोजा रखना फर्ज है. अल्लाह ताला से दुआ मांगते हैं.
तौवाब खान, पुराना बाजार
मैं पिछले 15 सालों से रोजा रख रहा हूं. रहमत और बरकत का महीना है रमजान. रोजा रखकर कुरान की तिलावत करता हूं. अल्लाह ताला बंदे पर रहम करते हैं.
मोहम्मद नासिर, पुराना बाजार
रमजान में रोजा रखनेवालों पर अल्लाह ताला की खास इनायत होती है. पांचों टाइम की नमाज अदा करते हैं. रमजान में खुदा से गुनाह की माफी मांगी जाती है.
वसीम हाशमी, नया बाजार
अल्लाह पाक से नजदीकी के लिए रोजा रखते हैं. इबादत करते हैं. जैसे ईद करीब आती जा रही हैं हमारा उत्साह बढ़ता जा रहा है. खुदा सबों पर नेमत बरसाये.
आमिर, नया बाजार

Next Article

Exit mobile version