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डीसी रेल लाइन बंद होने से करोड़ों का कोयला पड़ा बेकार

कतरास : कतरास कोयलांचल में बीसीसीएल गोविंदपुर, कतरास, सिजुआ क्षेत्र की साइडिंग में धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन के बंद होने के बाद से करोड़ों का कोयला बेकार पड़ा हुआ है. साइडिंग से कोयला रैक (मालगाड़ी) के माध्यम से अन्यत्र जाता था, जो फिलहाल गिरा पड़ा है. कोल इंडिया के अधिकारी जमा हो रहे कोयले को किसी […]

कतरास : कतरास कोयलांचल में बीसीसीएल गोविंदपुर, कतरास, सिजुआ क्षेत्र की साइडिंग में धनबाद-चंद्रपुरा रेल लाइन के बंद होने के बाद से करोड़ों का कोयला बेकार पड़ा हुआ है. साइडिंग से कोयला रैक (मालगाड़ी) के माध्यम से अन्यत्र जाता था, जो फिलहाल गिरा पड़ा है. कोल इंडिया के अधिकारी जमा हो रहे कोयले को किसी तरह से बाहर निकालने के तैयारी में लगे हैं. मगर अभी-तक जिस तरह से डीसी रेल लाइन के बंद होने का विरोध हो रहा है, उससे रैक के माध्यम से कंपनी को कोयला निकालना मुश्किल है.

यही कारण है कि स्थानीय कोल अधिकारी भी मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. 15 जून को साइडिंग का निरीक्षण के दौरान जिस तरह लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, उससे कोल अधिकारी सकते में हैं. डीसी रेल लाइन के धनबाद से चंद्रपुरा के बीच तीन जगहों पर आग है. साउथ गोविंदपुर साइडिंग से 15 जून से पहले 45 से 50 रैक विभिन्न जगहों के लिया जाता है. यह कोयला आकाशकिनारी, ब्लॉक फोर, गोविंदपुर, जोगीडीह आदि कोलियरियों से जाता था.

यहां से प्रतिदिन पांच हजार टन कोयला जाता था. उसकी कीमत 75 लाख रुपये है. क्षेत्रीय प्रबंधन दो-तीन माह बाद टुंडू से साइडिंग चलाने का विचार कर रहा है, जबकि वैकल्पिक व्यवस्था के लिए एरिया-1 व 2 के साइडिंग से कोयला भेजने की योजना बना रही है. सिजुआ, जोगता तथा लकड़का साइडिंग पर भी वीरानगी छा गयी है. जोगता, सिजुआ ,लकड़का साइडिंग से हर दूसरे दिन मिजिया तथा अन्य कंपनियों के लिए रैक लगते थे. यहां पेलोडर लोडिंग से कोयले को रैक में लोड किया जाता था.

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