बिल्डर को सशरीर उपस्थित होने का आदेश

धनबाद : बेकारबांध के सूरज कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर के पार्टनर राकेश कुमार ने मोको बलियापुर निवासी अजय सरकार से फ्लैट के नाम पर 1.81 रुपये अग्रिम ले लिये, लेकिन फ्लैट नहीं दिया. जब श्री सरकार ने राशि की मांग की तो उन्हें एक लाख का चेक दिया गया, जो बैंक में बाउंस हो गया. थक-हार […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 16, 2017 12:16 PM
धनबाद : बेकारबांध के सूरज कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर के पार्टनर राकेश कुमार ने मोको बलियापुर निवासी अजय सरकार से फ्लैट के नाम पर 1.81 रुपये अग्रिम ले लिये, लेकिन फ्लैट नहीं दिया. जब श्री सरकार ने राशि की मांग की तो उन्हें एक लाख का चेक दिया गया, जो बैंक में बाउंस हो गया. थक-हार कर श्री सरकार ने कोर्ट का सहारा लिया है. कोर्ट में कई तारीख पर बिल्डर नहीं आये. अब न्यायिक दंडाधिकारी (प्रथम श्रेणी) मिस ऋत्विका सिंह की अदालत ने बिल्डर को सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.
क्या है मामला : अजय सरकार ने बताया कि सूरज कंस्ट्रक्शन ने कुसुम विहार में नाॅर्दर्न हाइट अपार्टमेंट नामक फ्लैट का विज्ञापन अखबार में दिया था. विज्ञापन देखकर उन्होंने दो बीएचके फ्लैट के लिए बुकिंग व अन्य खर्च के बाबत दिनांक 21.10.2013, 25.11.2013 एवं 30.07.2014 को तीन एसबीआइ एकाउंट्स चेक से कुल 1.81 (एक लाख इक्कासी हजार) भुगतान किया. इस संदर्भ में 11.10.2014 को एकरारनामा बना. श्री सरकार ने कहा कि एकरारनामा की शर्तों को बिल्डर ने पूरा नहीं किया. जबकि फ्लैट के लिए मैने एलआइसी हाउसिंग लोन लिमिटेड धनबाद से 14 लाख रुपये लोन स्वीकृत भी करवा लिया था. 11 लाख मेरे खाते में आ गये थे. बिल्डर के मुकरने के बाद ब्याज के साथ राशि हमें वापस लौटानी पड़ी. जब बिल्डर से 1.81 लाख रुपये मांगे, तो पैसे के लिए बार-बार बुलाया जाता रहा.
बाउंस हुआ चेक : श्री सरकार के मुताबिक काफी चक्कर लगवाने के बाद बिल्डर ने मुझे 30.08.2015 को एक लाख रुपये का चेक दिया. चेक (नंबर 043834) एक्सिस बैंक सिटी सेंटर ब्रांच धनबाद का था. चेक को जब अपने एसबीआइ, आइएसएम कैंपस ब्रांच में दिनांक 02.09.2015 को जमा किया तो चेक भुगतान नहीं हुआ. 04.09.2015 को मुझे चेक, चेक रिटर्न मेमो के साथ वापस मिला. जिसमें बिल्डर के खाते में अपर्याप्त राशि के कारण चेक अनादरित हुआ लिखा था. इसके बाद अधिवक्ता के माध्यम से 01.10.2015 को वकालतनामा (मांग) नोटिस भेजवाया. लेकिन बिल्डर ने पैसा वापस नहीं किया. कहा कि जो होगा कोर्ट में होगा, इसके बाद 16.11.2015 को कोर्ट में केस दायर किया गया. 8.12.2017 को कोर्ट ने सशरीर उपस्थित होने का आदेश दिया है.

Next Article

Exit mobile version