अविलंब ऐसे संगठनों की बायलॉज की जांच कर प्रतिबंध लगाया जाये. इनमें कुछेक स्कूलों ने 10+2 का बोर्ड लगाया है. कुछ स्कूलों में नीचे स्कूल तो ऊपर मकान हैं. ऐसे स्कूलों पर एक लाख रुपये जुर्माना व प्रतिदिन दस हजार रुपये हरजाना वसूला जाना चाहिए. डीएवी मुगमा के मामले में भी संबंधित बीइइओ की गलत जांच रिपोर्ट सामने आ चुकी है. बालिका मध्य विद्यालय, धनसार मामले में स्कूल कर्मियों के साथ हुए दुर्व्यवहार मामले में भी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. ललित पासवान ने कहा कि निजी स्कूलों की बेतहाशा फीस बढ़ोतरी समेत अन्य मनमानी पर भी रोक लगनी चाहिए. विभाग व जिला प्रशासन के आदेश की अवहेलना करने वालों पर सख्त कार्रवाई हो. मौके पर अध्यक्ष हृदयानंद भारती, उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार, यदुराम, नितुल रावल, हरहर आर्य, दुर्ग प्रसाद महतो, विकास मांझी, शंकर तिवारी आदि मौजूद थे.
मनोज कुमार मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2010-11 से अब तक की अद्यतन स्थिति को सार्वजनिक किया जाना चाहिए. स्कूल में मौजूद कुल सामर्थ्य संख्या की 25 फीसदी सीटों पर बीपीएल कोटि के बच्चों का नामांकन होता है. मामले में अब तक स्कूलों ने गलत आंकड़े प्रस्तुत किये हैं और यही वजह है कि अब तक केवल 19 प्रतिशत नामांकन हो पाया है. आरटीइ के नोडल पदाधिकारी सह डीएसइ को सामान्य कोटि के नामांकन में भी हस्तक्षेप का अधिकार है. इसलिए एलकेजी से आठवीं तक की सामर्थ्य संख्या सार्वजनिक हो. सामान्य कोटि की नामांकन प्रक्रिया आरटीइ में है या नहीं और इसके लिए अभिभावकों से शपथ पत्र लिया जा सकता है या नहीं, बताया जाये. प्रथम चरण में डीएवी स्कूलों के लिए मिले आवेदनों की जांच हो. दोषी आवेदक, स्कूल प्रबंधन या जांच पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई हो. सूचना नहीं देने वाले स्कूलों पर कार्रवाई भी की जाये.