धनबाद : प्लास्टिक सर्जरी से लोगों को नया जीवन मिल रहा है. नयी तकनीक व थेरेपी से शरीर के किसी भी भाग को प्लास्टिक सर्जरी से फिर से बनाया जा सकता है. पहले शरीर के कटे अंग (खासकर हाथों व पैरों की कटी अंगुली) बेकार हो जाते थे, प्लास्टिक सर्जरी से संभव हुआ है कि इसे फिर से इंप्लांट किया जा सकता है. ये बातें सोमवार को पीएमसीएच के लेक्चरर थियेटर में प्लास्टिक सर्जरी से संबंधित विषय पर देव कमल अस्पताल रांची के प्लास्टिक सर्जन डॉ अनंत सिन्हा ने प्रेजेंटेशन देते हुए कही.
उन्होंने कहा कि आग से झुलस कर लगभग 70 प्रतिशत लोग शारीरिक रूप से विकृत हो जाते हैं. ऐसे में प्लास्टिक सर्जरी से इस विकृति को काफी हद तक ठीक किया जा सकता है. जली हुई स्कीन को हटा कर वहां नयी स्कीन इंप्लांट किया जाता है. इसी तरीके से बम या गोली से विकृत, तेजाब से जले लोगों के लिए भी प्लास्टिक सर्जरी वरदान साबित हुई है. मौके पर पीएमसीएच के प्राचार्य डॉ अरुण कुमार, अधीक्षक डॉ के विश्वास, डॉ राजकुमार पाठक, डॉ डीपी भदानी, डॉ एचके सिंह, देवकमल के अशोक कुमार सिन्हा सहित अन्य चिकित्सक शामिल हुए.
कटी अंगुली को ऐसे करें पैकिंग : डॉ सिन्हा ने बताया कि अंगुली कटने के बाद सबसे पहले स्लाइन के पानी में कॉटन (गाज) भिगो लें. इसमें कटे अंग रख लें. इसके बाद एक प्लास्टिक की थैली में इसे कसकर पैंक कर लें. एक दूसरी प्लास्टिक की थैली में बर्फ आदि रख लें. कटी अंगुली की पैकिंग को बर्फ वाले प्लास्टिक में रख लें. कोशिश करें कि कम से कम छह घंटे के अंदर अपने प्लास्टिक सर्जन के पास पहुंच जायें. समय से आने पर कटे अंग को फिर से जोड़ दिया जाता है. हालांकि 24 घंटे तक भी इसके लिए कोशिश की जाती है.
साढ़े नौ हजार बच्चों को मिली नयी जिंदगी : देव कमल ने अस्पातल पूरे झारखंड में साढ़े नौ हजार बच्चों को नयी जिंदगी दी है. अस्पताल स्थानीय प्रशासन की मदद से तमाम जिलों में कैंप लगाकर कटे ओठ-तालू से संबंधित बच्चों को प्लास्टिक सर्जरी से चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश की है. धनबाद व इसके आसपास के लगभग 17 सौ बच्चों का ऑपरेशन कर ठीक किया गया है. इसके साथ आग से झुलस कर विकृत हुए लोगों को भी ठीक किया गया है. सभी बच्चों का ऑपरेशन नि:शुल्क किया गया है.