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पार्क मार्केट चेंबर पर पुरानी कमेटी का कब्जा

धनबाद: पार्क मार्केट चेंबर पर पुरानी कमेटी का कब्जा बरकरार रहा. सर्वसम्मति से आशीष वर्मा को अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी. विनोद अग्रवाल को सचिव व मनीष रंजन को खजांची का प्रभार सौंपा गया. बबलू सेवाश्रम हीरापुर में गुरुवार को हुई आम सभा में पिछले साल का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया. इस दौरान पार्क मार्केट […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 21, 2017 9:24 AM
धनबाद: पार्क मार्केट चेंबर पर पुरानी कमेटी का कब्जा बरकरार रहा. सर्वसम्मति से आशीष वर्मा को अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी. विनोद अग्रवाल को सचिव व मनीष रंजन को खजांची का प्रभार सौंपा गया. बबलू सेवाश्रम हीरापुर में गुरुवार को हुई आम सभा में पिछले साल का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया. इस दौरान पार्क मार्केट की समस्याओं पर भी चर्चा की गयी. आम सभा के बाद नयी कार्यकारिणी का गठन किया गया. आम सभा में जिला चेंबर अध्यक्ष राजेश गुप्ता, महासचिव चेतन गोयनका, आशीष वर्मा, विनोद अग्रवाल, मनीष रंजन, ओम प्रकाश शर्मा, अशोक भट्टाचार्य, पीएल वर्णवाल, राजेंद्र वर्णवाल, विनोद भाटिया सहित 150 सदस्य उपस्थित थे.
संकट आने पर बनते हैं चेंबर के सदस्य : आम सभा में चेंबर की सदस्यता को लेकर हो हंगामा हुआ. सदस्यों का कहना था कि जब विपत्ति आती है तो दुकानदार चेंबर की सदस्यता लेते हैं. ऐसे दुकानदारों को सदस्यता नहीं दी जाये. इस पर अध्यक्ष आशीष वर्मा ने कहा कि दुकानदारों पर संकट आने पर सबसे पहले उनकी मदद करना चेंबर की प्राथमिकता होती है. जब चेंबर मदद करेगा तो निश्चित रूप से दुकानदार चेंबर की सदस्यता ले लेंगे.
चेंबर के 171 सदस्य : पार्क मार्केट चेंबर के 171 दुकानदार सदस्य हैं. जबकि यहां लगभग 300 दुकानदार हैं. कुछ दुकानदार दबंग है तो कुछ जानबूझ कर चेंबर की सदस्यता नहीं लेना चाहते. हालांकि चेंबर की नयी कमेटी ने पार्क मार्केट के सभी दुकानदारों को सदस्य बनाने का निर्णय लिया है.
पार्किंग की समस्या दूर करना प्राथमिकता : चेंबर
चेंबर अध्यक्ष आशीष वर्मा व सचिव विनोद अग्रवाल ने कहा कि यहां पार्किंग की समस्या से दुकानदार जूझ रहे हैं. इससे व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है. पार्किंग की समस्या को दूर करना उनकी पहली प्राथमिकता होगी. चेंबर की सदस्यता बढ़ाने पर विशेष फोकस होगा.
सदस्यता शुल्क घटाने पर सहमति नहीं
आम सभा में चेंबर के पूर्व अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने सदस्यता शुल्क आधा करने का मामला उठाया. सदस्यों ने इसका जोरदार विरोध किया. कहा कि सालाना पांच सौ रुपये शुल्क है. जो दुकानदार पांच सौ रुपया शुल्क नहीं दे पायेंगे, वे शुल्क घटाने पर भी नहीं देंगे. इसलिए जो शुल्क निर्धारित है, उसे ही रहने दिया जायेगा.

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