झरिया की भूमिगत आग का मुद्दा राज्यसभा में उठा, सांसदों ने स्थायी समाधान की मांग की
नयी दिल्ली : राज्यसभा में शुक्रवार कई सदस्यों ने झारखंड के झरिया क्षेत्र में लगी भूमिगत आग तथा इससे हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया और सरकार से इस पर समग्र तरीके से विचार किये जाने की मांग की. शून्यकाल में झामुमो के संजीव कुमार ने मई महीने में अवैध खनन के दौरान पांच लोगों […]
नयी दिल्ली : राज्यसभा में शुक्रवार कई सदस्यों ने झारखंड के झरिया क्षेत्र में लगी भूमिगत आग तथा इससे हो रही परेशानी का मुद्दा उठाया और सरकार से इस पर समग्र तरीके से विचार किये जाने की मांग की. शून्यकाल में झामुमो के संजीव कुमार ने मई महीने में अवैध खनन के दौरान पांच लोगों की मौत हो जाने की घटना का जिक्र किया और मामले की निष्पक्ष जांच कराये जाने की मांग की.
उन्होंने आरोप लगाया कि सीसीएल के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध खनन की घटनाएं होती है, और इसमें अक्सर गरीब तबके के लोग मारे जाते हैं. कुमार ने आरोप लगाया कि एक हिंदी दैनिक के पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया क्योंकि वह ऐसी घटनों के बारे में ईमानदारी से रिपोर्टिंग कर रहा था.
उनके मुद्दे से खुद को संबद्ध करते हुए माकपा के तपन कुमार सेन ने झरिया में कोयला खदानों में लगी भूमिगत आग से लोगों को हो रही परेशानियों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस वजह से कई लोगों की मौत भी हो गयी है. उपसभापति पी जे कुरियन ने उम्मीद जतायी कि सरकार इस विषय पर गौर करेगी. शून्यकाल में ही कांग्रेस के प्रदीप कुमार बालमुचू ने भी झरिया की भूमिगत आग तथा ट्रेनों को अचानक बंद किये जाने का मुद्दा उठाया.
उन्होंने कहा कि झाड़ग्राम-धनबाद और चकुलिया-टाटानगर ट्रेनों का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि झाडग्राम-धनबाद ट्रेन को बोकारो तक चलाया जा सकता है. चकुलिया-टाटानगर ट्रेन का जिक्र करते हुए बालमुचू ने कहा कि पहले यह ट्रेन रोज चलती थी लेकिन अब यह सप्ताह में दो दिन चलती है. उन्होंने मांग की कि इस ट्रेन को रोजाना चलाया जाए जिससे व्यापारियों, मजदूरों और छात्रों को सहूलियत हो सके.
शून्यकाल में ही, सपा के संजय सेठ ने सशस्त्र बलों के जवानों में मानसिक तनाव का मुद्दा उठाया और कहा कि इस वजह से पिछले साल कई जवानों ने आत्महत्या कर ली और कई जवानों ने एक दूसरे की जान ले ली. उन्होंने कहा कि लगातार कठिन पोस्टिंग, अवकाश नहीं मिलने, विभिन्न सुविधाओं के अभाव आदि के कारण जवानों में मानसिक तनाव पैदा होता है.
उन्होंने सभी सशस्त्र बलों को एक समान सुविधाएं दिये जाने तथा मानसिक तनाव दूर करने के लिए कदम उठाये जाने की मांग की. मनोनीत सदस्य शंभाजी छत्रपति ने अर्थव्यवस्था में पर्यटन उद्योग के महत्व का जिक्र करते हुए महाराष्ट्र के पुणे या कोल्हापुर में भारतीय पर्यटन संस्थान और यात्रा प्रबंधन (आईआईटीटीएम) संस्थान खोले जाने की मांग की. शून्यकाल में ही माकपा के रीताव्रता बनर्जी ने अमृतसर के जालियांवाला बाग स्मारक में रवींद्रनाथ टैगोर की प्रतिमा स्थापित किये जाने की मांग की और कहा कि टैगोर ने 1919 की उस बर्बर घटना के विरोध में अपना नाइटहुड सम्मान लौटा दिया था.
तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय ने पटसन क्षेत्र की समस्याओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी कम कीमत पर पटसन बेचना पड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों के कारण जूट उद्योग की समस्या और गंभीर हो गयी है. तृणमूल कांग्रेस के अहमद हसन ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक विमानन कंपनी द्वारा पुराने विमानों का इस्तेमाल किये जाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इससे न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा होता है बल्कि विमानन नियमों का भी उल्लंघन हो रहा है. शून्यकाल में ही जदयू नेता शरद यादव ने मणिपुर के जनजातीय लोगों से जुड़ा एक मुद्दा उठाया.