ओआरएस व इंसुलिन को छोड़कर लगभग सभी दवा महंगी हो गयीं हैं. धनबाद जिले में लगभग 1400 मेडिसिन की दुकानें हैं. इसमें डेढ़ सौ से अधिक हॉल सेलर हैं.
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जीएसटी से नहीं आराम बढ़ गये दवाइयों के दाम, 38 दिन बाद मेडिसिन सेक्टर का हाल बुरा, नहीं मिल रही दवाएं
धनबाद: एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो गया. 38 दिन बीत गये. लेकिन बाजार की स्थिति नहीं सुधरी. दवा के कारोबार पर जीएसटी का प्रतिकूल असर पड़ा है. ब्लड प्रेशर, सुगर, मलेरिया, गैस्ट्रिक की दवा बनानेवाली कई कंपनियों की दवा बाजार में नहीं आ रही है. मजबूरन मरीज वैकल्पिक दवा से […]
धनबाद: एक जुलाई से गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू हो गया. 38 दिन बीत गये. लेकिन बाजार की स्थिति नहीं सुधरी. दवा के कारोबार पर जीएसटी का प्रतिकूल असर पड़ा है. ब्लड प्रेशर, सुगर, मलेरिया, गैस्ट्रिक की दवा बनानेवाली कई कंपनियों की दवा बाजार में नहीं आ रही है. मजबूरन मरीज वैकल्पिक दवा से काम चला रहे हैं.
जीएसटी से बिगड़ा घर का बजट
करबला रोड (बैंक मोड़) में देवेश बोल अपने परिवार के साथ रहते हैं. इनका होटल का कारोबार है. पत्नी उर्वशी बोल हाउस वाइफ है. एक बेटा है जो क्लास तृतीय में पढ़ता है. श्री बोल के मुताबिक जीएसटी लगने के पहले घर का बजट 22 हजार रुपया था, लेकिन अब हर माह 24 हजार रुपया लग रहा है. हर माह राशन में 3300-3400 रु लगता था लेकिन अब 3700-3800 रुपया लग रहा है. श्री बोल कहते हैं कि स्कूल फीस, पेट्रोल खर्च, मेंटेनेंस से पहले से परेशान थे. जीएसटी लगने के बाद परेशानी और बढ़ गयी है. जीएसटी लगना चाहिए, लेकिन पहले इसकी पूरी तैयारी होनी चाहिए. रिटेल दुकानदार बिल नहीं देते हैं. अनाप शनाप रेट ले लेते हैं. उनका रटा-रटाया जवाब होता है कि जीएसटी के कारण कीमत बढ़ गयी है. इंवाइस प्रिंट होने के लिए दिया गया है. इसलिए अधिक कीमत वसूलनी पड़ रही है.
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