जमीन बेच कर पैसा जमा कराया, तो बताया कि मरीज की हो गयी है मौत

धनबाद. बरटांड़ स्थित एशियन जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की कार्यशैली से बुधवार को भी हंगामा हुआ. बगोदर के बिफो निवासी अगनु सिंह (48) की मौत पर परिजनों ने हंगामा किया. अस्पताल पर धोखा देने का आरोप लगाया. परिजनों ने बताया कि 23 अगस्त को पेट में दर्द के बाद अगनु को एशियन जालान में भरती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2017 11:40 AM
धनबाद. बरटांड़ स्थित एशियन जालान सुपर स्पेशियालिटी अस्पताल की कार्यशैली से बुधवार को भी हंगामा हुआ. बगोदर के बिफो निवासी अगनु सिंह (48) की मौत पर परिजनों ने हंगामा किया. अस्पताल पर धोखा देने का आरोप लगाया. परिजनों ने बताया कि 23 अगस्त को पेट में दर्द के बाद अगनु को एशियन जालान में भरती कराया गया.

इसके बाद तीन बार में 24 हजार रुपये अस्पताल को दिये. लेकिन अस्पताल ने बीमारी के बारे में कुछ नहीं बताया. इसके बाद अस्पताल ने 39 हजार रुपये की मांग की. लेकिन परिजनों के पास पैसे नहीं थे. इस कारण अगनु के बेटे व रिश्तेदार वापस गांव चले गये. यहां पर 2.4 लाख रुपये में जमीन बेची. पैसे लेकर परिजन जब अस्पताल पहुंचे, तो उन्हें टोटल 99 हजार, पांच सौ रुपये का बिल थमा दिया गया. परिजनों ने कहा कि 39 बताकर 99 हजार का बिल क्यों थमा दिया? अस्पताल वाले ने बिल जमा करने का दबाव बनाया. परिजनों ने 39 हजार का बिल दिया. इसके एक घंटे के बाद उन्हें बताया गया कि अगनु सिंह की मौत हो गयी है. परिजनों का कहना था कि रात में ही मरीज की मौत हो गयी थी. लेकिन अस्पताल वाले बिल बनाने को लेकर शव को जिंदा बताते रहे.

प्रबंधन का पक्ष
मरीज को हुआ था हार्ट अटैक : रंजन
एशियन अस्पताल के पदाधिकारी राजीव रंजन ने बताया कि अगनु सिंह को हार्ट अटैक हुआ था. परिजन अपने मरीज को पीएमसीएच या दूसरे जगह रेफर के लिए लेकर जा रहे थे. कुछ बिल वह काउंटर पर जमा कर रहे थे, इस दौरान उनके मरीज का हार्ट अटैक होने लगा. इसकी सूचना काउंटर पर जाकर परिजनों को दी गयी. परिजन मरीज के पास पहुंचे, तब तक मरीज की मौत हो गयी थी. इसमें अस्पताल पर अंगुली उठाना सही नहीं हैं. उन्होंने कहा कि झरिया के मरीज पैर के इंफेक्शन को लेकर यहां आये थे, डॉक्टरों को शक हुआ, तो जांच में किडनी का मरीज निकला. रिपोर्ट आने में एक-दो दिन लगता है. वही सबिता देवी के नवजात को जितनी यहां इलाज की सुविधा थी, मिली. आगे की इलाज की सुविधा यहां नहीं थी. अस्पताल मरीजों की सेवा के लिए है. धनबाद के लोगों को सेवा देने के लिए ही अस्पताल खोला गया है, हम कहीं दूसरी जगह भी जा सकते थे.

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