बीसीसीएल के नये सीएमडी के रूप में अजय कुमार सिंह का चयन 14 जून को हुआ था. पब्लिक इंटरप्राइजेज सेलेक्शन बोर्ड द्वारा नयी दिल्ली में आयोजित बीसीसीएल सीएमडी पद के साक्षात्कार में सबसे पहला नाम सीएमपीडीआइएल के निदेशक तकनीकी असीम कुमार चक्रवर्ती, दूसरा इसीएल के निदेशक तकनीकी अजय कुमार सिंह व तीसरा नाम एसइसीएल के महाप्रबंधक रवींद्र कुमार निगम का था. इसमें श्री सिंह का चयन हुआ.
11.08. 1983 :
बीएचयू से बी-टेक करने के बाद श्री सिंह ने कोल इंडिया की सहायक कंपनी सीसीएल के कथारा एरिया के जारंगडीह में बतौर जूनियर इंजीनियर-ट्रेनी (जेईटी) के रूप में अपना योगदान दिया था.
समृद्ध खनन व प्रबंधकीय अनुभव के मद्देनजर श्री सिंह को इसीएल का निदेशक (तकनीकी) बनाया गया.
वार्षिक लक्ष्य का 65.8 फीसदी ही हुआ है कोयला उत्पादन
धनबाद. चालू वित्तीय वर्ष 2017-18 के बीते साढ़े पांच महीने के दौरान बीसीसीएल अपने उत्पादन व डिस्पैच के लक्ष्य की प्राप्ति में पिछड़ता दिख रहा है. अगस्त माह में भी उत्पादन व डिस्पैच का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका है. चालू वित्तीय वर्ष में अब तक यानी 24 सितंबर तक कंपनी को 19946.8 लाख टन कोयला उत्पादन करना था. इसके मुकाबले कंपनी ने 13131.4 लाख टन उत्पादन कर सकी है. यानी लक्ष्य के विरूद्ध 65.8 फीसदी ही उत्पादन हुआ. डिस्पैच की बात करें, तो लक्ष्य 19616.1 लाख टन था, लेकिन 15052.7 लाख टन कोयला ही डिस्पैच हो सका है. यानी लक्ष्य का 76.7 फीसदी ही हुआ है.
स्थायी सीएमडी नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ा : पिछले दो वर्षों से अधिक समय से बीसीसीएल प्रमुख का पद प्रभार में चलने और एक महत्वपूर्ण निदेशक तकनीकी (परिचालन) का पद भी पिछले एक वर्ष से रिक्त होने का खामियाजा कहीं-न-कहीं बीसीसीएल को भुगतान पड़ा है. वर्तमान स्थित यह है कि एरिया से लेकर मुख्यालय स्तर पर कोई काम नहीं हो रहा है. अधिकारी हो या कर्मचारी सब टाइम पास करने में लगे हैं. वर्तमान उच्च प्रबंधन के निर्देशों का एरिया प्रबंधन पर कोई असर नहीं दिख रहा. परिणाम कंपनी उत्पादन व डिस्पैच लक्ष्य से पीछे चल रही है.
आठ करोड़ का भुगतान हुआ, नहीं मिली जमीन
भौंरा चंदन ओसीपी में 8-10 लाख टन कोयला भंडार है. जमीन नहीं मिलने के कारण यह ओसीपी बंद है. भौंरा चंदन ओसीपी के विस्तारीकरण को लेकर जमीन के लिए बीसीसीएल की ओर से आठ करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. बावजूद इसके जमीन नहीं मिल पा रही है. भौंरा चंदन ओसीपी के रेलवे लाइन के नीचे विशाल कोयला भंडार दूर से ही नजर आता है. स्थानीय प्रबंधन के निकम्मेपन व अदूरदर्शिता के कारण भौंरा चंदन बंद है. सवाल यह कि जब चंदन ओसीसी को चलाना ही नहीं था, तो उसके विस्तारीकरण को लेकर जमीन के लिए बीसीसीएल की ओर से आठ करोड़ रुपये का भुगतान क्यों किया गया? किसने बनायी थी विस्तारीकरण की योजना?
यहां नगीना बाजार के 60 से अधिक विस्थापित परिवार हटने को तैयार हैं, परंतु हटाने की पहल करने वाला कोई नहीं है. नगीना बाजार में सैकड़ों आवास बीसीसीएल के हैं, उसे आसानी से तोड़ा जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि यहां 8-10 लाख टन कोयला भंडार है. सड़क डायवर्सन एवं मकान तोड़े जाने से करोड़ों की आमदनी होगी. सड़क के बगल में 24 परिवार को हटा देने से लागत पैसा वापस हो जाता और भौरा चंदन को दो-तीन साल चलाया जा सकता.
उत्पादन : लक्ष्य और प्राप्ति
एरिया लक्ष्य उत्पादन प्रतिशत
बरोरा 1923.1 1325.8 68.9
ब्लॉक-टू 1882.8 1252.9 66.5
गोविंदपुर 938.9 782.2 83.3
इजे एरिया 345.6 354.3 102.5
सीवी 1917.0 1202.3 62.7
कतरास 2477.3 2185.1 88.2
सिजुआ 1559.1 955.9 61.3
कुसुंडा 3054.6 1727.0 56.5
पीबी 238.2 42.9 18.0
बस्ताकोला 3062.9 2065.5 67.4
लोदना 2227.5 1133.3 50.9
डब्ल्यूजे 319.8 104.2 32.6
कुल 19946.8 13131.4 65.8
डिस्पैच : लक्ष्य और प्राप्ति
एरिया लक्ष्य डिस्पैच प्रतिशत
बरोरा 1889.0 1436.8 76.1
ब्लॉक-टू 1858.4 1314.8 70.7
गोविंदपुर 911.5 871.8 95.6
इजे एरिया 339.0 367.1 108.3
सीवी 1898.6 1698.1 89.4
कतरास 2431.4 1874.8 77.1
सिजुआ 1530.5 1108.6 72.4
कुसुंडा 3027.2 2294.3 75.8
पीबी 226.7 59.8 26.4
बस्ताकोला 3024.8 2353.8 77.8
लोदना 2202.8 1576.6 71.6
डब्ल्यूजे 276.1 96.2 34.9
कुल 19616.1 15052.7 76.7