वैश्विक चुनौती से निबटने को तैयार रहें वैज्ञानिक : प्रो सिंह

धनबाद: बीएचयू के पूर्व कुलपति सह जीनोम फाउंडेशन हैदराबाद के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर लालजी सिंह ने कहा है कि भारत के वैज्ञानिकों को वैश्विक चुनौती से निबटने के लिए तैयार रहना चाहिए. प्रतिस्पर्धा से नहीं डरना चाहिए. श्री सिंह ने सोमवार को सिंफर सभागार में सीएसआइआर प्लेटिनम जुबली वर्ष के समापन समारोह को संबोधित करते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 10, 2017 9:05 AM
धनबाद: बीएचयू के पूर्व कुलपति सह जीनोम फाउंडेशन हैदराबाद के निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर लालजी सिंह ने कहा है कि भारत के वैज्ञानिकों को वैश्विक चुनौती से निबटने के लिए तैयार रहना चाहिए. प्रतिस्पर्धा से नहीं डरना चाहिए.
श्री सिंह ने सोमवार को सिंफर सभागार में सीएसआइआर प्लेटिनम जुबली वर्ष के समापन समारोह को संबोधित करते हुए उक्त बातें कहीं. समारोह की अध्यक्षता सिंफर के निदेशक डॉ पीके सिंह ने की. मुख्य अतिथि ने सबसे पहले प्रौद्योगिकी पुरस्कार के लिए सिंफर के सभी वैज्ञानिकों एवं कर्मियों को बधाई देते हुए कहा कि यह संस्थान स्थापना के समय से ही देश के विकास में महती भूमिका निभाते रहा है. उन्होंने कहा कि सीएसआइआर में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. हम एक वैश्विक गांव बन गये हैं.

विश्व से प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वयं को तैयार करना होगा. विश्व के दूसरे संस्थानों, संगठनों से मिलकर काम करने में कभी शर्म महसूस नहीं होनी चाहिए. भारत में परिस्थितियां अन्य देशों की तुलना में काफी अनुकूल है. हमें सरकार से निधि की अपेक्षा करने के बजाय स्वयं से नव परिवर्तन करना होगा. अगर अनुसंधान की गुणवत्ता अच्छी होगी तो परिणाम भी अनुरूप ही होगा. उन्होंने ‘भारत की जनसंख्या में आनुवंशिक विविधता एवं स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव’ विषय पर ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया. कार्यक्रम में उत्कृष्ट वैज्ञानिक डॉ. पी पाल राय, संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. अमलेन्दु सिन्हा, डॉ. इश्तियाक अहमद, डॉ. सिद्धार्थ सिंह सहित संस्थान के सभी वरिष्ठ वैज्ञानिकगण और स्टाफ उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आरवीके सिंह ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आशीष मुखर्जी ने किया.

कैंसर पर शोध का सुखद परिणाम जल्द : चट्टोपाध्याय
आइआइसीबी के प्रो. समित चट्टोपाध्याय ने बताया कि वे पिछले बीस वर्षों से कैंसर पर अनुसंधान कर रहे हैं. इस बात की तह तक पहुंचने की कोशिश हो रही है कि कैसे हमारे शरीर की एक कोशिका स्वयं से ही संख्या में बढ़कर कैंसर का कारण बनती है. सिंफर के सहयोग से कुछ महत्वपूर्ण परियोजनाओ पर काम होने जा रहा है.

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