!!मोहन गोप!!
धनबाद : धनबाद में झोला छाप चिकित्सक मरीजों की जान ले रहे हैं. सहज उपलब्ध व कम पैसे के चक्कर में गरीब इनके झांसे में फंस रहे हैं. इन झोला छापों पर स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई नहीं कर पा रहा है तो दूसरी ओर जिला प्रशासन ने भी अभी तक टास्क फोर्स भी नहीं बनाया है. इधर, झोला छाप मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है. पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने 11 झोला छाप चिकित्सकों को चिह्नित किया था. लेकिन इन पर कार्रवाई की फाइल आगे नहीं बढ़ पायी. एक वर्ष से फाइल सिविल सर्जन कार्यालय में पड़ी है. सरकार ने 2015 से स्वास्थ्य विभाग को इन झोला छापों को चिह्नित कर कार्रवाई करने को कहा है. 19 अगस्त 2016 व 14 अप्रैल 2017 को कुछ झोला छापों के खिलाफ अभियान चला था. लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. अब कुमारधुबी में जच्चा-बच्चा की मौत के बाद विभाग रेस हुआ है. 20 नवंबर 2017 को स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने झोला छापों पर डीसी व एसपी को पत्र लिख कर टास्ट फोर्स का गठन कर कार्रवाई निर्देश दिया था. लेकिन टास्क फोर्स का गठन नहीं हुआ.
केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने लिया था संज्ञान : राज्य सरकार ने उपायुक्तों को पत्र लिखते हुए केंद्रीय मानवाधिकार के निर्देशों का हवाला दिया था. बताया गया था कि झोला छाप के मामलों को केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने गंभीरता से संज्ञान में लिया है. आयोग में परिवादी राजहंस बंसल व ओंकार विश्वकर्मा ने झोला छाप के कारण मरने वाले मरीजों का जिक्र किया था. जांच में पता चला कि झारखंड में भी काफी संख्या में झोलाछाप चिकित्सक मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कार्रवाई के बाद रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग को भी देनी थी.
धनबाद में 160 झोला छाप कर रहे ऑपरेशन-सीजर
धनबाद में 160 से अधिक झोलाछाप चिकित्सक मरीजों को इलाज कर जान खतरे में डाल रहे हैं. ये लोग मरीजों का ऑपरेशन भी कर रहे हैं. प्रसव के लिए आयी महिलाओं का सीजर भी कर रहे हैं. मरीजों को ऑपरेशन से पहले दी जाने वाले बेहोशी की दवा (एनेस्थेसिया) भी खुद ही दे रहे हैं. इससे कई मरीजों की जान जा रही है. ग्रामीण व शहर के कोलियरी इलाकों में इनकी काफी संख्या बतायी जाती है. भूली, गोविंदपुर, झरिया, निरसा, बाघमारा में इसकी काफी संख्या है.
झोला छाप के खिलाफ जिले भर में अभियान चलाया जायेगा. जो झोला छाप पहले से चिह्नित थे, जांच कर उन पर भी कार्रवाई की जायेगी. किसी को छोड़ा नहीं जायेगा.
डॉ ए विश्वकर्मा, प्रभारी सिविल सर्जन