डिजाइनर नहीं, वास्तविक मां बनें : अतुल कृष्ण

धनबाद : गोविंद भवन, धनसार में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के पांचवें दिन कथा वाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि जैसे ही नंद बाबा के घर कान्हा के आने की बात होती है कान्हा की बुआ ढोल लेकर बधाई गाने लगती है. ढोल की आवाज सुन कंस को पता चल जाता है कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2018 8:52 AM
धनबाद : गोविंद भवन, धनसार में श्रीमद भागवत कथा ज्ञान महोत्सव के पांचवें दिन कथा वाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि जैसे ही नंद बाबा के घर कान्हा के आने की बात होती है कान्हा की बुआ ढोल लेकर बधाई गाने लगती है. ढोल की आवाज सुन कंस को पता चल जाता है कि किस घर में बालक के जन्म की बधाई गायी जा रही है. वह गोकुल के सारे नवजात बच्चे का वध करने पूतना को भेजता है. पूतना सुंदर नारी का वेश घर नंद बाबा के घर आती है.
अजनबी औरत को देख जब मइया ने पूछा कौन हो? तो कहती है मैं मथुरा से बालक के बधाई गाने आयी हूं. पूतना जब भगवान के पास आती है तो भगवान नेत्र बंद कर भगवान शिव का आह्वान करते हैं. कहते है आप मेरे मुंह में बिराज जायें. इस तरह भगवान ने पूतना के दूध के साथ उसके प्राण भी हर लिये.
सबसे प्यारा है वात्सल्य रस : कथा वाचक ने कहा : भगवान की उपासना के कई रस हैं. वात्सल्य रस सबसे प्यारा है. मां अपने बच्चे से नि:स्वार्थ प्रेम करती है. सेवा करती है, ममता लुटाती है.
जो माता कान्हा को बेटे के रूप में लाड़ करती है, भगवान उन्हें भरोसा दिलाते हैं कि उसका उद्धार करेंगे. मां बच्चे का रिश्ता अटूट है. इस रिश्ते में कोई नियम नहीं चलता. डिजाइनर नहीं वास्तविक मां बनें. जब कोई महिला ट्रेन या बस में चढ़ती है और उसकी गोद में छोटा बच्चा होता है तो उसे सीट मिल जाती है. जब एक छोटा बच्चा अपनी मां को सीट दिला सकता है तो कान्हा को बेटे के रूप में लाड़ करनेवाली मां को कान्हा वैकुंठ में सीट दिलायेंगे.
मौके पर केदार नाथ मित्तल, केशव हड़ौदिया, प्रदीप संथालिया, महेंद्र अग्रवाल, रविंद्र ओझा, नीरज अग्रवाल, धनंजयदास, अशोक महतो, विजय सिंह, गोविंद, राजेश मनोज, दिनेश, खेदन, मीरा, चांदनी आदि उपस्थित थे.

Next Article

Exit mobile version