धनबाद: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में किडनी निकालने की बात गलत साबित होने पर मृत मानिक रविदास के परिजन व गवाहों के खिलाफ असर्फी अस्पताल प्रबंधन सात करोड़ की मानहानि का दावा करेगा.
यह जानकारी बुधवार को अस्पताल के सीइओ हरेंद्र सिंह ने बुधवार को यहां पत्रकारों को दी. उनके साथ आइएमए के स्टेट प्रेसिडेंट डॉ एके सिंह, नर्सिग होम एसोसिएशन के सचिव डॉ सुशील कुमार, आइएमए धनबाद के डॉ (मेजर) चंदन भी मौजूद थे. श्री सिंह ने बताया कि पवन दास, दिवाकर रविदास, उत्तम रविदास, राम प्रसाद दास, पलटू दास, भगतू दास पर मानहानि किया जायेगा. ये मृतक के परिजन व केस के गवाह हैं. एफआइआर में लिखा गया सारा तथ्य गलत व मनगढ़ंत है. कुछ नेता अपने निजी स्वार्थ के लिए मरीजों के परिजनों को सहानुभूति की जगह उकसाने का काम करते हैं. इस केस में भी ऐसा हुआ.
डॉक्टर रक्षक है, भक्षक नहीं : डॉ एके सिंह ने कहा कि जब किसी मरीज की मौत होती है, तब चिकित्सक को भी तकलीफ होती है. चिकित्सक रक्षक का काम करते हैं, भक्षक का नहीं. मानिक का इलाज सबसे पहले ग्रामीण क्षेत्र के झोला छाप ने किया. संभवत: इस कारण दवा की ओवरडोज आदि से उसकी किडनी खराब हो सकती है. फिर भी हमें मानिक के परिवार वाले से सहानुभूति है, हम संवेदना प्रकट करते हैं. डॉ सिंह ने जिला प्रशासन को त्वरित कार्रवाई करते हुए पोस्टमार्टम कराने के लिए धन्यवाद दिया. कहा कि झारखंड के तमाम जिले में भी इस तरह की घटनाएं होती रहती है, इसलिए पुलिस प्रशासन से आग्रह है कि एफआइआर पर नहीं जांच करके मामला उजागर करें. छोला-छाप चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. इधर, डॉ सुशील कुमार ने कहा कि हर बात पर चिकित्सक को दोष देना गलत है. ऐसे में सामान्य मरीजों की जांच करने में भी चिकित्सकों में भय हो जायेगा.