फेसबुक वाल पर स्व. नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह की पोस्ट चर्चा में, पढ़ें पूरा पोस्ट
स्व.नीरज सिंह की पहली बरसी पर 21 मार्च को उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह व रघुकुल परिवार के नाम से स्व. नीरज सिंह की फेस बुक वाल पर एक पोस्ट डाली गयी है. पोस्ट चर्चा में है. विदित हो कि 21 मार्च 17 की शाम स्टील गेट के समक्ष कांग्रेस नेता नीरज सिंह समेत चार […]
स्व.नीरज सिंह की पहली बरसी पर 21 मार्च को उनकी पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह व रघुकुल परिवार के नाम से स्व. नीरज सिंह की फेस बुक वाल पर एक पोस्ट डाली गयी है. पोस्ट चर्चा में है. विदित हो कि 21 मार्च 17 की शाम स्टील गेट के समक्ष कांग्रेस नेता नीरज सिंह समेत चार लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में स्व. नीरज के चचेरे भाई झरिया विधायक संजीव सिंह समेत 11 लोग जेल में हैं. पूर्णिमा की पोस्ट को हू-ब-हू दिया जा रहा है.
वन का एकमात्र यथार्थ सत्य है जिसे हम सत्य नहीं मानते. एक ऐसा सत्य जिसे हम जानते हुए भी अनभिज्ञ रहना चाहते हैं और इसी संसार की भौतिकता को ही सत्य और अमरता का पर्याय मान बैठते हैं. परन्तु सत्य और अमरता हम जैसे सामान्य लोग कहां समझ पाते हैं जब तक उनसे साक्षात्कार न हो. ऐसा ही एक साक्षात्कार हुआ मेरा उस सत्य से आज से एक वर्ष पूर्व. ऐसा नहीं है कि मृत्यु जैसे कटु सत्य से सामना पहली बार हुआ. परंतु जीवन के पथ पर अनुभव होने के साथ हर सत्य की कटुता का आभास भी ज़्यादा होता है. मृत्यु – मेरे पति श्री नीरज सिंह की जिसने मेरी और मेरे परिवार के जीवन का दशा और दिशा दोनों ही बदल दिया. एक ऐसा दुख जिससे हम सब कभी नहीं उबर पायेंगे. वह कटु सत्य कि अब वह मुस्कुराता हुआ चेहरा जिसे जीवन की किसी भी चिंंता ने कभी उद्विग्न नहीं किया अचानक एक दिन विलीन हो जाता है.
इस दु:ख को परिभाषित करना संभव नहीं. किंतु इसी दु:ख में हमने अनुभूति की उस ख्याति, प्रेम, शौर्यता, समर्थन और सहानुभूति की जो ये छोड़ कर गये और हमें आप सबसे मिला. आज मेरा पूरा परिवार गौरवान्वित है कि हम सब एक ऐसे व्यक्ति के जीवन का हिस्सा हैं जिनका व्यक्तित्व और व्यवहार ही उनकी पहचान थी. जो किसी पद पर न होकर भी एक सच्चा अधिनायक और मार्गदर्शक बना. जन्म और मृत्यु तो जीवन के घटनाक्रम का यथार्थ है. हम सबका जीवन जन्म से आरंभ होकर मृत्यु में अंत हो जाता है लेकिन जो इस मृत्यु से भी परे जा कर स्मरण किया जाये वह अमर हो जाता है. किसी भी व्यक्ति के जीवन का मर्म और अर्थ उसकी मृत्यु में छुपा होता है. कोई मर कर भी सहस्त्र जन्मों की शौर्यता और सम्मान लेकर जाता है और कोई जीवित रहकर भी अनंत जन्मों की कायरता और अपमान. किसी को मृत्यु मारकर भी उसे अमरता का वरदान दे जाती है और किसी को जीवन देकर भी उसे अभिशाप बना देती है.
यह दृष्टांत हमें सोचने को विवश कर देता है कि हमें अपनी आगे की पीढ़ी के चरित्र का निर्माण कैसा करना है. शौर्यता का महत्व आयु से अधिक है और इस सत्य का प्रमाण आप सबके समक्ष है. जिस अध्याय का आरंभ इतना प्रचंड है उसके अंत की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती. क्योंकि हमें हमारे कर्मों का प्रतिफल भोगना ही होता है, जैसे उनके प्रेम और समर्पण का प्रतिफल आप सबके प्रेम और समर्थन के रूप में मिला. मैं और मेरा परिवार कृतज्ञ और धन्य हैं उनका और आप सबका सानिध्य पा कर. हर व्यक्ति के जीवन का मूल्य बराबर है चाहे वह कोई भी हो और यह क्षण मैं उन लोगों की स्मृति में रखने की प्रार्थना करती हूं, जिन्होंने मेरे नीरज के साथ का मूल्य अपना जीवन देकर चुकाया-स्व. घलटू महतो, स्व अशोक यादव व स्व मुन्ना तिवारी. इनके भी परिवार ने एक पिता , पुत्र और पति खोया. अंतत: बस इतना कहना चाहूंगी कि इस संसार में हमारा कुछ भी नहीं है. ‘त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये.’ मेरे नीरज भी ईश्वर के थे और पुन: ईश्वर में विलीन हो गये. मेरी प्रार्थना है ईश्वर से कि हम सभी अपने जीवन में सत्य, समर्पण, शौर्यता और सम्मान के मूल्य को समझें और अर्थपूर्ण व सार्थक बनाने का प्रयास करें. मां हमारा मार्गदर्शन करें.