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धनबाद से लड़ने की बाबूलाल में हिम्मत नहीं : पीएन सिंह

संजीव झा धनबाद : भाजपा नेता सांसद पशुपति नाथ सिंह ने कहा है कि जेवीएम प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पास धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है. यहां के लोग अभी तक डोमिसाइल नीति को नहीं भूले हैं. रविवार को यहां प्रभात खबर से बातचीत में सांसद ने कहा […]

संजीव झा
धनबाद : भाजपा नेता सांसद पशुपति नाथ सिंह ने कहा है कि जेवीएम प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के पास धनबाद लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं है. यहां के लोग अभी तक डोमिसाइल नीति को नहीं भूले हैं.
रविवार को यहां प्रभात खबर से बातचीत में सांसद ने कहा कि एक बार पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने भाजपा टिकट पर धनबाद से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी थी. फिर खुद ही पीछे हट गये. इसी तरह इस बार विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में धनबाद से चुनाव लड़ने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन इसे सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. वे जानते हैं कि झारखंड में उनके सीएम रहते जो डोमिसाइल नीति आयी थी, उसे धनबाद के लोग भूले नहीं हैं. जात-पात, बाहरी-भीतरी की राजनीति अब नहीं चलने वाली है. कहा कि भाजपा यहां हमेशा चुनाव के लिए तैयार है. क्या लोकसभा का चुनाव समय से पहले होने की उम्मीद है के जवाब में कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है. वैसे पार्टी अपने स्तर से चुनाव की तैयारी में जुट गयी है.
भाग्य के सहारे कांग्रेस के नेता
श्री सिंह ने कहा कि कोयलांचल में आज कांग्रेस पार्टी के पास कोई ऐसा प्रत्याशी नहीं है जो लोकसभा चुनाव लड़ सके. क्योंकि कांग्रेस के अधिकांश नेता भाग्य के सहारे चुनाव लड़ना या जीतना चाहते हैं. पिछली बार कांग्रेस से चुनाव लड़ने वाले अजय दुबे हारने के बाद यहां से भाग गये. चुनाव के बाद यहां उनकी कोई एक्टिविटी नहीं रही. कमोबेश यही हाल अधिकांश कांग्रेस नेताओं का है. जो नेता पांच वर्षों तक जनता के बीच नहीं रहेगा वह क्या चुनाव जीतेगा.
मन्नान मल्लिक की सराहना
सांसद ने कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री मो. मन्नान मल्लिक की सराहना करते हुए कहा कि कांग्रेस में अकेले श्री मल्लिक ही ऐसे नेता हैं जो जनता के बीच रहते हैं. लेकिन श्री मल्लिक में भी चुनाव जीतने का माद्दा नहीं है.
अपना ही रिकॉर्ड तोड़ेंगे
श्री सिंह ने कहा कि वह 2019 लोकसभा चुनाव में अपना ही रिकाॅर्ड तोड़ने की तैयारी में हैं. वर्ष 1995 में पहली बार विधायक बने. तब से जब भी चुनाव लड़े, जीत का मार्जिन बढ़ा ही है. हर बार कोई न कोई रिकॉर्ड बनाया. पिछले लोकसभा चुनाव में तो जितने वोट से जीते उतना वोट भी कांग्रेस प्रत्याशी नहीं ला पाये.

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