एक साल बाद कॉर्निया का प्रत्यारोपण

धनबाद : अल्सर के बाद आंखें खोने वाली गोविंदपुर की एक महिला की दोबारा जिंदगी में रोशनी भर गयी. पिछले दिनों कतरास के राजगढ़िया परिवार के सदस्य ने मरणोपरांत नेत्र दान किया था. मंगलवार को आइ बैंक के चिकित्सक डॉ रजनीकांत सिन्हा व उनकी टीम ने पीएमसीएच में सफल नेत्र प्रत्यारोपण किया. दोबारा आंखों में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 3, 2018 6:01 AM
धनबाद : अल्सर के बाद आंखें खोने वाली गोविंदपुर की एक महिला की दोबारा जिंदगी में रोशनी भर गयी. पिछले दिनों कतरास के राजगढ़िया परिवार के सदस्य ने मरणोपरांत नेत्र दान किया था. मंगलवार को आइ बैंक के चिकित्सक डॉ रजनीकांत सिन्हा व उनकी टीम ने पीएमसीएच में सफल नेत्र प्रत्यारोपण किया. दोबारा आंखों में रोशनी आने के बाद महिला के परिजन भी काफी खुश हैं.
वहीं कॉर्नियां का सही प्रयोग होने पर राजगढ़िया परिवार भी खुश है. बता दें कि पिछले दिनों दो लोगों का मरणोपरांत नेत्र दान किया गया था, लेकिन एक व्यक्ति की काॅर्निया खराब हो गयी थी, तो दूसरे को रांची भेज दिया गया था, इस पर काफी हंमागा हुआ था. लगभग एक वर्ष से कोई प्रत्यारोपण कार्य नहीं हो पा रहा था.
दूसरी काॅर्निया के लिए जरूरतमंद की खोज : एक दानदाता से दो लोगों को काॅर्निया लगाया जाता है. ऐसे में एक काॅर्निया फिलहाल आइ बैंक में प्रिजर्व है, इसके लिए जरूरतमंद की खोज जारी है. बुधवार को कुछ मरीजों को देखा गया है. प्रबंधन एक-दो दिन के अंदर दूसरी काॅर्निया का भी प्रत्यारोपण करने की कोशिश में है.
अब तक एक दर्जन का सफल ऑपरेशन : पीएमसीएच के आइ बैंक ने चार वर्ष में एक दर्जन लोगों की आंखों को रोशनी प्रदान की. वर्ष 2012-13 में पीएमसीएच को अंग प्रत्यारोपण के लिए लाइसेंस मिला था. इसके बाद पहला नेत्र प्रत्यारोपण 26 फरवरी 2015 को हुआ था. फिलहाल आइ बैंक में लगभग 200 लोगों ने मरणोपरांत नेत्र दान के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. दूसरी ओर नेत्र लेने वाले भी लगभग एक 50 लोगों ने आवेदन दे रखा है.

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