9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

न एल्बेंडाजोल, न पारासिटामोल, किशोरियों को नहीं बतायी जा रही है नैपकिन का मोल

धनबाद : किशोर अवस्था में होने वाली स्वास्थ्य समस्या के प्रति जागरूकता के लिए वर्ष 2010 से कहने को जिले अर्श क्लिनिक चलाये जा रहे हैं. विभाग की मानें तो सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित सदर प्रखंड में यह क्लिनिक चल रहे हैं, लेकिन धरातल पर योजनाएं सात वर्षों में भी नहीं उतर पायी हैं. […]

धनबाद : किशोर अवस्था में होने वाली स्वास्थ्य समस्या के प्रति जागरूकता के लिए वर्ष 2010 से कहने को जिले अर्श क्लिनिक चलाये जा रहे हैं. विभाग की मानें तो सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सहित सदर प्रखंड में यह क्लिनिक चल रहे हैं, लेकिन धरातल पर योजनाएं सात वर्षों में भी नहीं उतर पायी हैं. वर्ष 2014 से सरकार ने इस योजना का नाम बदलकर राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम बना दिया है. इसके लिए जिला स्तर व प्रखंड स्तर की कमेटी बनाने का आदेश दिया है. लेकिन कमेटी भी अभी तक नहीं बनायी गयी.
वर्ष 10 से 19 के बीच लड़के व लड़कियों में कई बदलाव होते हैं. ऐसे में किशोर जिज्ञासा के साथ मानसिक रूप से परेशान भी होते हैं. इनके लिए केंद्र में अलग से काउंसेलिंग रूम, एग्जामिनेशन टेबल के साथ नैपकिन, कांट्रासेप्टिव, पारासिटामोल, एंटी स्पासमोडिक, डाइ साइक्लोमाइन सहित अन्य दवाएं रखी जाती हैं. इसके लिए अलग से मेडिकल ऑफिसर रहते हैं.
क्या है स्थिति : किसी भी केंद्र में अलग से मेडिकल अफसर नहीं है. केंद्र के लिए कोई प्रचार-प्रसार नहीं होता है. केंद्र पर काफी कम युवा ही आते हैं, दवाइएं भी पर्याप्त नहीं मिलती हैं.
विकली आयरन एंड फोलिक एसिड सप्लिमेंट (विप्स) का उद्देश्य बेटियों में खून की कमी को पूरा करना है. इसके लिए 100 एमजी आयरन, 500 एमजी फोलिक एसिड व एल्बेंडाजोल दवाएं देनी है. स्कूलों व आंगनबाड़ी केंद्रों में यह दी जाती हैं.
क्या है स्थिति : हर वर्ष चार से पांच लाख किशोरियों को दवा खिलाने का लक्ष्य रखा जाता है. लेकिन उपलब्धि 20 से 30 प्रतिशत के आसपास ही रहती है. सरकारी स्कूलों में तो किसी तरह दवा बांटी जाती है. लेकिन, निजी स्कूलों में यह नहीं हो पाता है. इस पर सरकार चिंता जताती रही है.
मेनस्ट्रुअल हाइजिन स्कीम (एमएचएस) का मुख्य उद्देश्य मासिक धर्म के समय साफ-सफाई के प्रति किशोरियों को जागरूक करना है. साफ-सफाई नहीं होने के कारण संक्रमण के साथ कई परेशानियां शुरू होने लगती है. इसके लिए किशोरियों को नैपकिन दिये जाते हैं.
क्या है स्थिति : जिले में किशोरियों को सेनेटरी नैपकिन नहीं दिये जा रहे हैं. बेहद कम कीमतों पर यह उपलब्ध कराये जाने हैं. किशोरियों को लेकर कोई जागरूकता कार्यक्रम भी नहीं चल रहे हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें