पीएमसीएच में बन रहा पांच करोड़ का वायरोलॉजी लैब

बैक्टीरिया जनित जांच अब पीएमसीएच में होगी, रिम्स जाने की नहीं होगी जरूरत धनबाद : वायरस व बैक्टीरिया जनित बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. पीएमसीएच में रिजर्व नेशनल ट्यूबरकोलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) के तहत पांच करोड़ रुपये में मेगा वायरोलॉजी लैब का निर्माण हो रहा है. इसके तहत धनबाद में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 23, 2018 6:16 AM

बैक्टीरिया जनित जांच अब पीएमसीएच में होगी, रिम्स जाने की नहीं होगी जरूरत

धनबाद : वायरस व बैक्टीरिया जनित बीमारियों से ग्रसित मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. पीएमसीएच में रिजर्व नेशनल ट्यूबरकोलोसिस कंट्रोल प्रोग्राम (आरएनटीसीपी) के तहत पांच करोड़ रुपये में मेगा वायरोलॉजी लैब का निर्माण हो रहा है. इसके तहत धनबाद में टीबी के लगभग 25 सौ मरीज व एचआइवी के 16 सौ मरीजों को इससे राहत मिलेगी. अभी तक सोलिड व लिक्विड कल्चर मीडिया जांच के लिए मरीजों के नमूने को (रिम्स) रांची भेजा जाता था. लेकिन अब यह जांच पीएमसीएच में ही होगी.
पांच करोड़ रुपये से अधिक खर्च : इस मेगा लैब के लिए भवन व उपकरणों को लेकर पांच करोड़ रुपये से ऊपर हा बजट है. पुरानी लाइब्रेरी के पास यह भवन बनाया जा रहा है. इस भवन में दो लैब के दो ब्लॉक होंगे. पहले ब्लाॅक में सोलिड कल्चर मीडिया व दूसरे ब्लॉक में लिक्विड कल्टर मीडिया लैब होंगे. दोनों भवन तीन हजार स्क्वायर मीटर में निर्माण किया जा रहा है.
एचआइवी से टीबी और टीबी से हो रहा एचआइवी
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ जयंत कुमार ने बताया कि धनबाद व इसके आसपास के क्षेत्रों में टीबी व एचआइवी के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. टीबी के मरीजों को एचआइवी होने व एचआइवी के मरीजों को टीबी होने का खतरा ज्यादा होता है. दोनों बीमारियों में मरीजों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है. इससे बीमारी संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.
क्या होगा फायदा
सोलिड कल्चर मीडिया : सोलिड कल्टर मीडिया से बैक्टीरिया के कल्चर का पता चलता है. छह हफ्ते में इसकी रिपोर्ट बन पाती है. इसके बाद मरीज में टीबी का कितना बैक्टीरिया है, यह बॉडी को कितना प्रभावित कर रहा है. इसकी जानकारी मिल पायेगी.
लिक्विड कल्चर मीडिया : लिक्विड कल्चर मीडिया में एंटी ड्रग सेंसिविटी का पता चलता है. अर्थात टीबी के किस ड्रग से क्या सेंसिविटी मरीज को होती रही है. इसका पता चलता है. जिस दवा से मरीज के सेंसिविटी का पता चलता है, उस दवा को बंद कर दिया जाता है.

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