पीएमसीएच : फॉरेंसिक मेडिसिन का हाल-बेहाल
धनबादः किसी घटना-दुर्घटना में शिकार होने के बाद मृत व्यक्ति की जांच व पोस्टमार्टम करना कानूनी प्रक्रिया है. जिले में हर दिन कहीं न कहीं से दुर्घटना में शिकार या अन्य वजह से मृतक लोगों के शवों को पोस्टमार्टम हाउस लाया जाता है. फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी के कारण पोस्टमार्टम […]
धनबादः किसी घटना-दुर्घटना में शिकार होने के बाद मृत व्यक्ति की जांच व पोस्टमार्टम करना कानूनी प्रक्रिया है. जिले में हर दिन कहीं न कहीं से दुर्घटना में शिकार या अन्य वजह से मृतक लोगों के शवों को पोस्टमार्टम हाउस लाया जाता है. फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में शिक्षकों व कर्मचारियों की कमी के कारण पोस्टमार्टम का अधिकांश कार्य फोर्थ ग्रेड के स्टाफ सफाईकर्मी ही करते हैं. इसके लिए अलग से कोई असिस्टेंट तक नहीं है. लिहाजा तीन शिक्षकों व चार कर्मचारियों के भरोसे विभाग चल रहा है.
वेटिंग रूम नहीं, लोग परेशान
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर किसी तरह का वेटिंग रूम नहीं है. इस कारण जब परिजन अपने शुभचिंतक या परिजनों के शव पोस्टमार्टम कराने आते हैं, तब उन्हें मजबूरी में कड़ी धूप में खुले मैदान में ही खड़े रहना पड़ता है. बरसात में भीगना ही पड़ता है. एक-दो पेड़ हैं, जिसके नीचेधूप, बारिश में थोड़ी राहत मिलती है.
शिक्षकों व कर्मचारियों की घोर कमी
पीएमसीएच के फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग में एक प्रोफेसर व दो टय़ूटर हैं. इसके साथ यहां एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर का पद रिक्त है. कर्मचारी के नाम पर दो लैब अटेंडेंट व दो स्वीपर हैं. पोस्टमार्टम का सारा काम स्वीपर ही देखते हैं. विभाग का अपना कोई स्टेनो-टाइपिस्ट व स्टोर कीपर या क्लर्क नहीं है. इतना ही नहीं विभाग के पास टेक्नीशियन तक नहीं है. एक असिस्टेंट टेक्नीशियन है.