धनबाद : घर-घर शौचालय बन गया, लेकिन पुराना बाजार में एक भी शौचालय नहीं बना है. डस्टबीन की व्यवस्था भी नहीं है. स्वच्छ भारत अभियान के इस दौर में यहां हर तरफ गंदगी बिखरी पड़ी है. निगम का कहना है कि यहां शौचालय के लिए जमीन नहीं है. पुराना बाजार रतन जी रोड सड़क की दायीं ओर वार्ड नंबर 31 है और बायीं तरफ वार्ड नंबर 32. लेकिन दोनो वार्ड की स्थिति नारकीय है.
घनी आबादी वाला क्षेत्र है. इस क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या है यहां शौचालय और डस्टबीन का न होना. डस्टबीन न होने से सारा कचरा सड़कों पर बिखरा रहता है. कचरा जमा होने से उससे बदबू आती है. दुकानदारों और ग्राहकों दोनों को परेशानी होती है. सड़क पर कभी-कभार झाडू लगाया जाता है. लेकिन कचरा नहीं उठाया जाता और न ही नाले की सफाई होती है. बरसात आते ही नाला ओवर फ्लो होने लगता है.
हमारी गली में नाली और कचरे की बड़ी समस्या है. नगर निगम की गाड़ी कभी नहीं आती कचरा उठाने. नाला भी काफी चौड़ा है. कितनी बार दुर्घटना हो चुकी है. पार्षद भी साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं. हमें सुविधा नहीं मिलती है.
मंजू कुमारी
छह सालों से यहां पार्लर चला रही हूं. सबसे बड़ी समस्या शौचालय को लेकर है. इतनी घनी आबादी है. पुराना बाजार में बहुत सी महिलाएं दुकान चला रही हैं. शौचलय होना चाहिए. मेरे पार्लर के सामने वाली जमीन पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है.
आस्था गुप्ता
पुराना बाजार में काफी घनी आबादी बसती है. नगर निगम का टैक्स कई गुना बढ़ गया. टैक्स भी समय पर लिया जाता है. लेकिन सुविधा के नाम पर कुछ नहीं होता. यूरिनल की समस्या का समाधान होना चाहिए. काफी समस्या है.
ज्ञानदेव अग्रवाल
हमारी चार पीढ़ी पुराना बाजार में दुकान चला रही है. पुराना बाजार में काली मंदिर के पासवाली नाली हमेशा जाम रहती है. उधर से गुजरना मुश्किल होता है. हमारे क्षेत्र के पार्षद इस ओर ध्यान ही नहीं देते. कभी नाली की सफाई नहीं होती है.
अभिजीत कुमार
इघर की समस्या पर कोई ध्यान नहीं देता. ठेला वाला सारा कचरा गलियों में डाल देता है. कचरा उठाया नहीं जाता. लिहाजा जमा पड़े कचरे से बदबू आती है. स्वास्थ के दृष्टिकोण से भी हानिकारक है. पार्षद भी ध्यान नहीं देते.
सौरव गुप्ता
तीस सालों से मेरी जूते की दुकान है. यहां समस्या तो देखते आ रहे हैं लेकिन समाधान नहीं दिखता. हम वार्ड 31 में आते है. वहां की पार्षद यहां रहती नहीं हैं. हमारी समस्या सुननेवाला कोई नहीं है. किससे फरियाद करें समझ में नहीं आता.
सदरे आलम
कहते हैं दुकानदार