पानी और बिजली संकट पर राजनीतिक दलों को सूंघा सांप

चेंबर के भरोसे धनबाद की जनता धनबाद : धनबाद की जनता पानी-बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है. अंधेरे में रहना, बरसात में भी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के लिए भी पानी के लिए तरसना यहां के लोगों की नियति बन चुकी है. इतने बड़े संकट पर यहां के राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 2, 2018 5:49 AM

चेंबर के भरोसे धनबाद की जनता

धनबाद : धनबाद की जनता पानी-बिजली के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है. अंधेरे में रहना, बरसात में भी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के लिए भी पानी के लिए तरसना यहां के लोगों की नियति बन चुकी है. इतने बड़े संकट पर यहां के राजनीतिक दलों ने चुप्पी साध रखी है. सत्ता पक्ष की तो अपनी मजबूरी है. बयान बहादुर विपक्षी नेताओं को भी इस मामले में सांप सूंघ गया है. जन आंदोलन का पूरा दारोमदार चेंबर के
पदाधिकारी संभाल रहे हैं. औद्योगिक नगरी धनबाद का हर आम व खास परेशान हैं. एक तरफ दुनिया चांद पर जाने की तैयारी में है.
दूसरी तरफ धनबाद के भविष्य यानी छात्र, युवा लालटेन, मोमबत्ती पढ़ाई करने को विवश हैं. गंभीर बिजली संकट ने यहां के अर्थ व्यवस्था को हिला दिया है. उद्योग जगत त्राहि-त्राहि कर रहा है. उत्पादन घटता जा रहा है. बिजली नहीं रहने के कारण जेनरेटर चलाना पड़ रहा है. डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण उत्पादों की लागत बढ़ रही है. अपार्टमेंट में रहने वालों को भी परेशानी हो रही है. महंगाई के इस दौर में उनका मेंटेनेंस कॉस्ट बढ़ता जा रहा है. इंटवर्टर का तो बारह बज गया है. उमस भरी गर्मी में लोगों की रातें तारें गिन-गिन कर कट रही है.
जार के पानी से हो रहा स्नान
जिले के अधिकांश स्थानों पर गंभीर जल संकट व्याप्त है. झरिया एवं मैथन जलापूर्ति योजना से जुड़े लोगों को एक शाम पानी भी ठीक से नहीं मिल रहा है. दोनों टाइम पानी तो अब एक सपना बन कर रह गया है. लोग 20 से 30 रुपये प्रति जर्किंग के हिसाब से पानी खरीद कर नहा रहे हैं व खाना बना रहे हैं. उपर से नगर निगम और जमाडा को पानी का टैक्स अलग से देते हैं. यह हालत तब है जब दामोदर में पानी लबालब है. मैथन, पंचेत में भी जल स्तर काफी बढ़ा हुआ है.
राजनीतिक दलों का काम कर रहा चेंबर
धनबाद जिले के लोगों को हो रही भारी परेशानी के बावजूद कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम, मासस सहित सभी विपक्षी दल चुप्पी साधे हुए है. छोटे-छोटे मुद्दों पर बयान देने वाले पेपर टाइगर भी चुप हैं. पूरे आंदोलन की कमान चेंबर के पदाधिकारी संभाल रहे हैं. चेंबर की तरफ से ही जगह-जगह विरोध हो रहा है. जो काम राजनीतिक दलों को करना चाहिए वह व्यापारी कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पर हो रही खिंचाई
बिजली-पानी संकट को लेकर यहां के जन प्रतिनिधियों की खिंचाई इन दिनों सोशल मीडिया पर हो रही है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या यही अच्छे दिन हैं. क्या इसका ही वादा कर भाजपा सत्ता में आयी थी. प्रभात खबर में छपी खबरों की कतरन जमकर पोस्ट व शेयर किया जा रहा है.

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