पानी नहीं, बीमारी बांट रहा विभाग

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी में 650 पीपीएम धूलकण तरह-तरह की हो सकती हैं बीमारियां धनबाद : शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था लचर है. लोगों को एक समय भी पानी मिलने में परेशानी होती है. आलम तो यह होता है कि लोग दो-दो दिन तक पानी को तरसते रहते हैं. लेकिन हद तो […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 5, 2018 5:49 AM

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी में 650 पीपीएम धूलकण

तरह-तरह की हो सकती हैं बीमारियां
धनबाद : शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था लचर है. लोगों को एक समय भी पानी मिलने में परेशानी होती है. आलम तो यह होता है कि लोग दो-दो दिन तक पानी को तरसते रहते हैं. लेकिन हद तो तब हो जाती है जब मिलने वाला पानी भी गंदा हो. शहर के लोग सोचते हैं कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का पानी साफ रहता है. मगर लोगों को यह नहीं पता कि वह पानी के साथ-साथ गंभीर बीमारियां भी पी रहे हैं. एक सरकारी जांच एजेंसी, जिन्होंने नाम नहीं छापने का अनुरोध किया, के अनुसार पेयजल व स्वच्छता विभाग जो पानी घरों में पहुंचा रहा है, उसमें प्रति लीटर 1110 पीपीएम धूलकण मौजूद है. वहीं भेलाटांड़ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी में प्रति लीटर 650 पीपीएम धूलकण है.
शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को नष्ट करता है गंदा पानी : डॉ ओझा
इस मामले में पीएमसीएच के चिकित्सक डॉ यूके ओझा बताते हैं कि यह गंदे पानी का निचला स्तर है. इतना गंदा पानी पीने से लोगों डायरिया, हैजा, टाइफाइड, बुखार आदि जैसी बीमारियां हो सकती हैं. गंदा पानी शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को कम करता है. इसके कारण लोग एलर्जी, इंफेक्शन आदि का शिकार होते हैं. बताते चलें कि पेयचल व स्वच्छता विभाग में पानी साफ करने के लिए एलम का इस्तेमाल होता है. मगर उसके बाद भी वहां का पानी साफ नहीं हो रहा है.

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